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पुद्गल-कोश
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विश्लेषण-चार प्रदेशी स्कंध का आकाश के एक प्रदेश में, दो, तीन या चार प्रदेश में अवगाह हो सकता है।
संख्यातप्रदेशी स्कंध का आकाश के एक प्रदेश में, दो, तीन, चार यावत् संख्यातप्रदेश में अवगाह हो सकता है।
__ असंख्यातप्रदेशी स्कंध का आकाश के एक प्रदेश में, दो, तीन, चार यावत् संख्यातप्रदेश में यावत् असंख्यातप्रदेश में अवगाह हो सकता है।
___अनंतप्रदेशी स्कंध का आकाश के एक प्रदेश में, दो, तीन, चार यावत् संख्यातप्रदेश में यावत् असंख्यातप्रदेश में अवगाह हो सकता है।
अधोलोक, तिर्यग्लोक तथा ऊर्ध्वलोक में पुद्गल के स्कंध, देश, प्रदेश तथा परमाणु-चारों भेद पाये जाते हैं ।
___ लोक के एक आकाशप्रदेश में, अधोलोक के एक आकाशप्रदेश में, तिर्यग्लोक के एक आकाशप्रदेश में तथा ऊर्वलोक के एक आकाशप्रदेश में पुद्गल के स्कंध-देशप्रदेश तथा परमाणु-चारों भेद पाये जाते हैं । ४ पुद्गल का लोक में अभाव
(क) अलोगागासे णं भंते ! कि जीवा पुच्छा तह चेव ? गोयमा ! नो जीवा, जाव-नो अजीवप्पएसा, एगे अजीव दव्वदेसे।
- भग० श २ । उ १० । सू ६६ । पृ० ४३५ टीका-एगे अजीबदव्वदेसे' त्ति अलोकाफाशस्य देशत्वं लोकालोकरूपाकाशद्रव्यस्य भागरूपत्वाद् ।
(ख) अलोए णं भंते ! कि जीवा ? एवं जहा अस्थिकायउद्देसए अलोगागासे, तहेव निरवसेसं जाव अणतभागूणे ।
-भग० श ११ । उ १० । सू १४ । पृ. ६३२ (ग) जीवा पुग्गलकाया धम्माधम्मा य लोगदोणण्णा। तत्तो अण्णमण्णं आयासं अंतवतिरित्त ॥
-पंच० गा ९.
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