________________
पुद्गल-कोश
२०१ जिस प्रकार तिक्त रस पर्यायरूप से असंख्यात प्रदेशावगाढ पुद्गल असंख्यात प्रदेशावगाढ पुद्गल से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है वैसे कटु-कषाय-आम्लमधुर रस पर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है ।
असंख्यात प्रदेशावगाढ पुद्गल असंख्यात प्रदेशावगाढ पुद्गल से कर्कश स्पर्शपर्यायरूप से कदाचित् न्यून है, कदाचित् तुल्य है, कदाचित् अधिक है। यदि न्यून है तो अनंत भाग न्यून है अथवा असंख्यात भाग न्यून है अथवा संख्यात भाग न्यून है अथवा संख्यात गुण न्यून है अथवा असंख्यात गुण न्यून है अथवा अनंत गुण न्यून है ( छःस्थान न्यून ) है। यदि अधिक है तो अनंत भाग अधिक है अथवा असंख्यात भाग अधिक है अथवा संख्यात भाग अधिक है अथवा संख्यात गुण अधिक है अथवा असंख्यात गुण अधिक है अथवा अनंत गुण अधिक है ( छःस्थान अधिक ) है ।
जिस प्रकार कर्कश स्पर्शपर्यायरूप से असंख्यात प्रदेशावगाढ पुद्गल असंख्यात प्रदेशावगाढ पुद्गल से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है वैसे ही मृदु-गुरु-लघुशीत-उष्ण-स्निग्ध-रूक्ष स्पर्शपर्याय रूप से छःस्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है।
अतः असंख्यात प्रदेशावगाढ पुद्गल में अनंतपर्याय होती है ।
(ख) जघन्य अवगाहना-उत्कृष्ट अवगाहना-अजघन्य-अनुत्कृष्ट अवगाहना
वाले पुद्गल और पर्याय संख्या
(ख) जहण्णोगाहणगाणं भंते ! पोग्गलाणं पुच्छा । गोयमा ! अणंता। से केणटुणं ? गोयमा ! जहण्णोगाहणए पोग्गले जहण्णोगाहणगस्स पोग्गलस्स दवट्टयाए तुल्ले, पएसट्टयाए छट्ठाणवडिए, ओगाहणट्टयाए तुल्ले, ठिईए चउट्ठाणवडिए, वण्णादि-उरिल्लचउफासेहि य छट्ठाणवडिए । उक्कोसोगाहणए वि एवं चेव। नवर ठिईए तुल्ले। अजहण्णमणुक्कोसोगाहणगाणं भंते ! पोग्गलाणं पुच्छा। गोयमा! अणंता। से केण?णं ? गोयमा ! अजहण्णममुक्कोसोगाहणए पोग्गले अजहण्णमणुक्कोसोगाहणगस्स पोग्गलस्स दवट्ठयाए तुल्ले, पएसट्टयाए छट्ठाणवडिए, ओगाहणट्टयाए च उट्ठाणवडिए, ठिईए चउट्ठाणवडिए वण्णादि-अट्ठफासपज्जवेहि छट्ठाणवडिए।
--पण्ण• प ५ । सू ५५५ । पृ० ३६९ जघन्य अवगाहनावाले पुद्गलों में अनंतपर्याय होते हैं। जघन्य अवगाहना वाले पुद्गल जघन्य अवगाहनावाले पुद्गल से द्रव्य रूप से तुल्य होते हैं ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org