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पुद्गल - कोश
१८३
जिस प्रकार कृष्ण वर्ण पर्याय रूप से अजघन्य - अनुत्कृष्ट स्थितिवाले पुद्गल अजघन्य अनुत्कृष्ट स्थितिवाले पुद्गल से षट्स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है ; वैसे ही नील-रक्त-पीत - शुक्ल वर्ण पर्याय रूप से ; सुगन्ध दुगन्ध पर्याय रूप से, तिक्त कटु-कषाय-आम्ल-मधुर रस पर्याय रूप से, कर्कश मृदु-गुरु-लघु-शीत-उष्ण-स्निग्ध-रूक्ष स्पर्श पर्याय रूप से—- अजघन्य अनुत्कृष्ट स्थितिवाले पुद्गल अजघन्य-अनुत्कृष्ट स्थितिवाले पुद्गल से षट्स्थान न्यूनाधिक है अथवा तुल्य है ।
*१२१४२ वर्ण-गंध-रस स्पर्श की अपेक्षा पुद्गल और पर्याय संख्या
(क) एक गुण यावत् अनंत गुण की अपेक्षा पुद्गल और पर्याय संख्या (क) एगगुणकालगाणं पुच्छा । ( केवइया पज्जवा पन्नत्ता ? ) गोयमा ! अनंता पज्जवा । से केणट्ठ े णं भंते ! एवं वुच्चइ ? गोयमा ! एगगुणकालए पोग्गले एगगुणकालगस्स पोग्गलस्स दव्वट्टयाए तुल्ले, परसट्टयाए छट्टाणवडिए, ओगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए, ठिईए चउट्ठाणडिए, कालवण्णपज्जवेहि तुल्ले, अबसेसेहिं वण्ण-गंध-रस- फासपज्जवेहि छाणवडिए, अट्ठ हि फासेहिं छट्टा वडिए । ५१९ ।
एवं जाव दसगुणकालए ।५२०१
संखेज्जगुणकालए वि एवं चेव । नवरं सट्टा दुट्ठाणवडिए । ५२१ एवं असंखेज्जगुणकालए वि । णवरं सट्टाणे चउद्वाणवडिए । ५२२ । एवं अनंतगुणकालए वि । नवरं सट्टा खट्टाणवडिए । ५२३ |
एवं जहा कालवण्णस्स वत्तव्वया भणिया तहा सेसाण वि वण्ण-गंध-रसफासाणं वत्तव्वया भाणियव्वा जाव अनंतगुणलुक्खे । ५२४ ।
- पण्ण ० प ५ । सू ५१९-५२४ पृ० ३६४
एक गुण कृष्णवर्णवाले पुद्गलों में अनंत पर्याय होते हैं । वाले पुद्गल एक गुण कृष्णवर्ण वाले पुद्गल से द्रव्य रूप से तुल्य है
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एक गुण कृष्णवर्ण
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