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पुद्गल-कोश फासपरिणामे १७, उसिणफासपरिणामे १८, गिद्धफासपरिणामे १९, लुक्खफासपरिणामे २०, गुरुलहुफासपरिणामे २१, अगुरुलहुफासपरिणामे
२२।
-सम• सम० २२ । सू ६
पुद्गल परिणाम के बाइस भेद हैं -यथा-काला वर्णपरिणाम, नील वर्णपरिणाम, लोहित वर्णपरिणाम, हारिद्र वर्णपरिणाम, शुक्ल वर्णपरिणाम, सुगंध परिणाम, दुर्गन्ध परिणाम, तिक्तरसपरिणाम, कटुरसपरिणाम, कषायरसपरिणाम, आंबिलरसपरिणाम, मधुररसपरिणाम, कर्कशस्पर्शपरिणाम, मृदुस्पर्शपरिणाम, गुरुस्पर्शपरिणाम, लघुस्पर्शपरिणाम, शीतस्पर्शपरिणाम, उष्णस्पर्शपरिणाम, स्निग्धस्पर्शपरिणाम, रूक्षस्पर्शपरिणाम, गुरुलघुस्पर्शपरिणाम, अगुरुलघुस्पर्शपरिणाम ।
(छ) अनेक भेद
(क) रूपिषु तु द्रव्येषु आदिमान् परिणामोऽनेकविधः, स्पर्शपरिणामाविति।
-तत्त्व० अ ५ । सू ४३-भाष्य (ख) तवानेकः परिणामः पुद्गलेषु द्वयणुकादिस्कंधलक्षणः, शब्दादिः शुक्लपीतादिश्च, तत्र यदा द्वावणू विस्रसातो द्वयणुकस्कंधमारभेते, तदा द्वयणुकस्कंधपरिणाम आदिमान, एवं शेषा अपि प्रयोगविलसाजनिता यथावद् द्रष्टव्या इति।
-सिद्ध. अ५ । सू ४३ पुद्गलों में द्वयणुकादि अनेक स्कंध होते हैं, शब्दादि अनेक गुण होते हैं तथा शुक्ल-पीतादि अनेक वर्ण होते हैं ; अतः पुद्गल के परिणाम भी अनेक होते हैं । यथा-दो अणु विस्रसा गति से द्वयणुक स्कंध का आरम्भ करते हैं तो द्वयणुक स्कंधपरिणाम होता है। इसी प्रकार विस्रसा और प्रयोग गति की अपेक्षा से तीन, चार, पांच आदि अणु स्कंधों के परिणाम के भेद अनेक जानने चाहिए । .११.१५ ग्रहण गुण और परिभोग गुण
(क) पोग्गलत्थिकाए णं पुच्छा। गोयमा! पोग्गलस्थिकाए णं जीवाणं ओरालिय-वेउन्विय-आहारग-तेया-कम्मए-सोइंदिए-चक्खिदिए-घाणिदिए.
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