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पुद्गल-कोश
जो पुदगल नीले वर्ण का है उसमें गंध, रस, स्पर्श और संस्थान की भजना है। अर्थात् जो पुद्गल वर्ण से नील वर्ण रूप में परिणत होते हैं वे गंध से सुरभि गन्ध रूप में और दुरभि गंध रूप में भी परिणत होते हैं। रस से कटु, तिक्त, कषाय, आम्ल और मधुर रस रूप में भी परिणत होते हैं। स्पर्श से कर्कश, मृदु, गुरु, लघु, शीत, उष्ण, स्निग्ध और रूक्ष में भी परिणत होते हैं। संस्थान से परिमंडल, वृत्त, यस्र-त्रिकोण, चतुरस्र-चतुष्कोण और आयत संस्थान रूप में भी परिणत होते हैं । [२०]
जो लाल वर्ण के पुदगल हैं उनमें गंध, रस, स्पर्श और संस्थान की भजना है। अर्थात् जो पुद्गल वर्ण से लोहित--रक्त वर्ण रूप में परिणत होते हैं वे गंध से सुरभि गंध रूप में और दुरभि गंध रूप में भी परिणत होते हैं। रस से तिक्त, कटु, कषाय, आम्ल और मधुर रस रूप में भी परिणत होते हैं। स्पर्श से कर्कश, मृदु. गुरु, लघु, शीत, उष्ण, स्निग्ध और रूक्ष स्पर्श रूप में भी परिणत होते हैं। संस्थान से परिमंडल, वृत्त, व्यस्र, चतुरस्र और आयत संस्थान रूप में भी परिणत होते हैं । [२०]
जो पीत वर्ण के पुद्गल हैं उनमें गध, रस, स्पर्श और संस्थान की भजना है। अर्थात् जो पुद्गल वर्ण से हारिद्र-पीला वर्ण रूप में परिणत होते हैं वे गंध से सुरभि गन्ध और दुरभिगन्ध रूप में भी परिणत होते हैं। रस से तिक्त कटु कषाय, आम्ल और मधुर रस रूप में भी परिणत होते हैं। स्पर्श से कर्कश, मृदु गुरु, लघु, शीत, उष्ण, स्निग्ध और रूक्ष स्पर्श रूप में भी परिणत होते हैं। संस्थान से परिमंडल, वतुल, त्रिकोण, चतुष्कोण और आयत संस्थान रूप में भी परिणत होते हैं । [२०]
जो शुक्ल वर्ण के पुद्गल हैं उनमें गंध, रस, स्पर्श और संस्थान की भजना है । अर्थात् जो पुद्गल वर्ण से शुक्ल वर्ण रूप में परिणत होते हैं वे गंध से सुरभिगध और दुरभिगंध रूप में भी परिणत होते हैं। रस से कटु, तिक्त, कषाय, आम्ल और मधुर रस रूप में भी परिणत होते हैं। स्पर्श से ककंश, मृदु, गुरु, लघु, शीत, उष्ण, स्निग्ध
और रूक्ष स्पर्श रूप में भी परिणत होते हैं। संस्थान से परिमंडल, वृत्त, व्यस्र, चतुरस्र और आयत संस्थान रूप में भी परिणत होते हैं। [२०]
इस प्रकार २० भंग कृष्ण वर्ण रूप में परिणत हुए पुद्गलों के होते हैं, इसी प्रकार नील वर्ण रूप में, रक्तवर्ण रूप में, पीत वर्ण रूप में, शुक्ल वर्ण रूप में परिणत पुद्गलों के भी बीस-बीस भग होते हैं। इस प्रकार पाँच वर्षों के १०० भंग होते हैं। (ख) गंध की अपेक्षा पुद्गल में वर्ण-गंध-रस-स्पर्श = कुल ४६ भेद
गंधओ जे भवे सुब्भी, भइए से उ वण्णओ। रसओ फासओ चेव, भइए संठाणओ वि य॥
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