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नारकियों के मिले हुए अवहारकाल में मिला देने पर वैक्रियकायोगी गुणस्थान प्रतिपन्न जीवों के अवहारकाल होते हैं।
.०६ वैक्रियमिश्रकाययोगी का द्रव्य प्रमाण
वेउब्वियमिस्सकायजोगीसु मिच्छाइट्ठीदव्वपमाणेण केवडिया, देवाणं संखेज्जदिभागो।
-षट् खण्ड० १ । २ । सू ११७ । पु ३ । पृष्ठ० ४०० टोका-एदस्स सुत्तस्स वक्खाणं वुच्चदे। संखेज्जवस्साउअन्भंतरआवलियाए असंखेज्जदिभागमेत्तउवक्कमणकालेण नदि देवरासिसंचाओ लब्भदि, तो एदम्हादो संखेज्जगुणहीण-वेउन्विमिस्सउवक्कमणकालम्हि केत्तियमेत्तरासिसंचयं लभामो त्ति इच्छारासिणा पमाणरासिम्हि भागे हिदे तत्थ लद्धसंखेज्जरवेहि देवरासिम्हि भागे हिदे तत्थेगभागो वेउव्वियमिस्सकायजोगिमिच्छाइटिपमाणं होदि । सेसं सुगम। सासणसम्माइट्ठी असंजदसम्माइट्ठी दव्वपमाणेण केवडिया, ओघ ।
-षट् • खण्ड ० १।२ । सू ११८ । पु ३ । पृष्ठ• ४०१ टीका-तिरिक्ख-मणुससासण-असंजदसम्माइट्ठिणो मेण देवेसुप्पज्जमाणा पलिदोवमस्स असंखेज्जविभागमेत्ता लभंति तेणेदेसि पमाणपरुवणा ओघं, ओघेण समाणा त्ति वृत्तं होदि। एदेसिमवहारकालुप्पत्ती वुच्चदे। तं जहा.-ओरालियमिस्ससासणसम्माइट्ठिअवहारकालमावलियाए असंखेज्जदिभाएण गुणिदे वेउन्वियमिस्सकायजोगिसासणसम्माइट्ठिअवहारकालो होदि। ओरालियकायजोगिअवहारकालमावलियाए असंखेज्जविभाएण गुणिवे वेउन्वियमिस्सकायजोगिअसंजदसम्माइटिअवहारकालो होदि । कि कारणं? तिरिक्खाणमसंखेज्जदिभागस्स देवेसुप्पत्तीदो। केण कारेणण वेउव्वियमिस्सकायजोगिसासणेहितो ओरालियमिस्सकायजोगिसासणसम्माइट्ठिणो असंखेज्जगुणा? ण एस बोसो, कुदो ? देवेसुष्पज्जमाणतिरिक्खसासहिंतों तिरिवखेसुप्पज्जमाणदेवसासणाणमसंखेज्जगुणत्तादो।
वैक्रियमिश्रकाययोगियों में मिथ्यादष्टि जीव द्रव्यप्रमाण की अपेक्षा देवों के संख्यातवें भाग हैं। १२७
अस्तु संख्यात वर्ष की आयु के भीतर आवली के असंख्यातवें भाग उपक्रमकाल से यदि देवराशि का संचय प्राप्त होता है तो इससे संख्यातगुणे हीन वैक्रियमिश्र उपक्रमण
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