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करने पर बहुभाग अनुभव मनोयोगी संयतासंयत जीव राशि है । शेष एक भाग के संख्यात खण्ड करने पर बहुभाग उभय मनोयोगी संयतासंयत जीव राशि है । शेष एक भाग के संख्यात खण्ड करने पर बहुभाग मृषा मनोयोगी संयतासंयत जीव राशि है । शेष एक भाग के संख्यात खण्ड करने पर बहुभाग सत्य मनोयोगी संयतासंयत जीव राशि है ।
सूत्र के विना वैक्रियिक विश्व काययोगी असंयत सम्यग्दृष्टि जीव राशि तिर्यंच सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीव राशि से लेकर तीन राशियों से असख्यातगुणी हीन है- यह कथन आचार्यों के वचन से जाना जाता है ।
चूंकि आचार्यों के वचनों में अनेकान्त है ।
सत्य मनोयोगी संयतासंयत राशि के अनन्तर जो एक भाग शेष रहे उसके असंख्यात खण्ड करने पर बहुभाग वैक्रियमिश्र काययोगी असंयत सम्यग्दृष्टि जीव राशि है । शेष एक भाग के असंख्यात खण्ड करने पर बहुभाग कामंणकाययोगी असंयतसम्यग्दृष्टि जीव राशि है । शेष एक भाग के असंख्यात खण्ड करने पर वहुभाग औदारिक मिश्र काययोगी सासादन सम्यग्दृष्टि जीव राशि है। शेष एक भाग के असंख्यात खण्ड करने पर बहुभाग वैयमिश्र काययोगी सासादन सम्यग्दृष्टि जीव है।
शेष एक भाग के असंख्यात खण्ड करने पर बहुभाग कार्मण काययोगी सासादन सम्यग्दृष्टि जीव राशि है । शेष कथन समझकर ले जाना चाहिए ।
• ४ ६ सयोगी जीवों का द्रव्य ( संख्या ) प्रमाण -
०१ पाँच मनोयोगी तथा तीन वचनयोगियों का द्रव्य प्रमाण --
जोगाणुवादेण पंचमणजोगि तिष्णिवचिजोगीसु मिच्छा इट्ठी दव्वपमाणेण केवडिया ? देवाणं संखेज्जदि भागो ।
- षट्० खण्ड ० १ । २ । सू १०३ । पु ३ । पृष्ठ० ३८६
टीका - एत्थ तिन्हं चैव वचिजोगाणं संगहो किमट्टो कदो ? णं एस दोसो । कुदो ? वचिजोग - असच्चमोसवचिजोगेहि सह एदेसि तिरहं वचिजोगाणं दव्वालाव पडि समाणत्ताभावादो । सामण्णालावाणमेगजोगो भवदि, ण भिण्णालावाणं । देवाणं जाणि दव्व-काल- खेत्त - पमाणाणि पुन्वं परुविदाणि तस संखेज्जदिभागो एसिमट्ठण्हं रासीणं पमाणं होदि । कुदो ? जदो एदे अट्ठ वि जोगा सण्णीणं चेव भवंति णो असण्णीणं, तत्थ पडिसिद्धत्तादो । सन्णीसु वि पहाणा देवा चेव, सेस दिसण्णीणं देवाणं संखेज्जदिभागत्तादो । तत्थ वि देवेसु पहाणो कायजोगरासी, मण वचिजोगरासीदो संखेज्जगुणत्तादो । तं पि कथं जाणिज्जदे ? जोगद्धप्पा
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