________________
( २२२ ) .११ कालानुगमती से संचित योगी जीवों का कालस्थिति
___जोगाणुवादेण पंचमणजोगि-पंजवचिजोगितिण्णिपदा केवचिरं कालादो होंति ? णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा। एगजीवं पडुच्च जहण्णण एगसमओ, उक्कस्सेण अंतोमहत्तं। कायजोगिस कदि-णोकदिअवत्तव्वसंचिदा केवचिरं कालादो होंति ? णाणाजीवं पडुच्च सम्वद्धा। एगजीवं पडुच्च जहण्णण अंतोमहत्तं, उक्कस्सेण अणंतकालमसंखेज्जा पोग्गलपरिया। ओरालियकायजोगीसु कदिसंचिदा केवचिर कालादो होंति ? णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा। एगजीव पडुच्च जहण्णण एगसमओ, उक्कस्सेण बावोसवस्ससहस्साणि देसूणाणि। ओरालियमिस्सकायजोगीसु कदि-णोकदिअवत्तव्वसंचिदा केवचिरं कालादो होंति ? णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा। एगजीवं पडुच्च जहण्णण एगसमओ, उक्कस्सेण अंतोमुहत्तं । वेउव्वियकायजोगीणं मणजोगिभंगो। वेउव्वियमिस्सकायजोगीसुतिण्णिपदा केवचिरं कालादो होंति ? णाणाजीवं पडुच्च जहण्णण अंतोमुहत्तं, उक्कस्सेण पलिदोवमस्स असंखेज्जविभागो एगमंतोमुहत्तं ; पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागमेत्तवक्कमणवारसलागाहि पदुप्पण्ण समुप्पत्तीदो। एगजीवं पडुच्च जहण्णुक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं । आहारकायजोगीसु तिण्णिपदा केवचिरं कालादो हांति ? णागजीवं पडुच्च जहण्णण एगसमओ, उक्कस्सेण अंतोमुहत्तं । आहारमिस्सकायजोगीसु तिण्णिपदा केचिरं कालादो होंति ? णाणेगजीवं पडुच्च जहण्णुक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं । कम्मइयकायजोगीसु-कदि-णोकदि-अवत्तव्वसंचिदा केवचिरं कालादो होंति ? णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा। एगजीवं पडुच्च जहण्णेण एगसमओ, उक्कस्सेण तिप्णिसमया।
-षट्० खण्ड ० ४ । १ । सू ६६ । पु ९ । पृष्ठ• २९८ । ९९
योग मार्गणानुसार पांच मनोयोगी और पांच वचनयोगी तीन पद वाले कितने काल तक रहते हैं ? नाना जीवों की अपेक्षा सर्वकाल रहते हैं। एक जीव की अपेक्षा जघन्य एक समय और उत्कृर्ष से अन्तर्मुहूर्तकाल तक रहते हैं। काययोगियों में कृति, नोकृति और अवक्तव्य संचित जीव कितने काल तक रहते हैं। एक जीव की अपेक्षा जघन्य से अन्तर्मुहर्त और उत्कृर्ष से असंख्यात पुदगल-परिवर्तन-प्रमाण अनन्तकाल तक रहते हैं। औदारिककाययोगियों में कृतिसचित कितने काल तक रहते हैं ? नाना जीवों की अपेक्षा सर्वकाल रहते हैं। एक जीव की अपेक्षा जघन्य से एक समय और उत्कृर्ष से कुछ कम वाईस हजार वर्ष तक रहते हैं ।
औदारिकमिश्रकाययोगियों में कृति, नोकृति व अवक्तव्य संचित जीव कितने काल तक रहते हैं ? नाना जीवों की अपेक्षा सर्वकाल रहते हैं। एक जीव की अपेक्षा जघन्य
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org