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के द्वारा अतीतकाल में स्पर्श किया गया क्षेत्र तिर्यगलोक का संख्यातवां भाग पाया जाता है।
कपाट समुद्घात को प्राप्त, औदारिकमिश्रकाययोग में वर्तमान सोगि केवलियों ने सामान्य लोक आदि तीन लोकों का असंख्यातवां भाम, तिर्यग लोक का संख्यातवाँ भाग और अढाईद्वीप से असंख्यातगुणा क्षेत्र स्पर्श किया है। यहाँ पर कपाट समुद्घातगत क्षेत्र की अपेक्षा से स्पर्शनक्षेत्र संबंधी जगप्रतर के उत्पादन का विधान जान करके कहना चाहिए । ( इसके लिए देखो-क्षेत्र प्ररूपणा पृ० ४९ आदि षट्खंडामभ पु ४ )। .०५ वैक्रियकाययोगी की क्षेत्र-स्पर्शना
___ वेउन्वियकायजोगीसु मिच्छादिट्ठीहि केवडियं खेतं पोसिदं, लोगस्स असंखेज्जदिभागो।
-~-~~षट् ० खण्ड• १ । ४ । सू ९० । पु ४ । पृष्ठ० २६६ टोका-एदं सुत्तं जेण वट्टमाणकाले पडिबद्ध तेणेदस्स वक्खाणे कोरमाणे जधा खेताणिओगद्दारे वेउव्वियकायजोगिमिच्छाइट्टिप्पहुडि-बद्धसुत्तरस वक्खाणं कद, तधा एत्थ वि कायव्वं ।
अठ तेरह चोहसभागा वा देसूणा।
-षट्० खण्ड ० १ । ४ । सू ९१ । पु ४ । पृष्ठ० २६६ टोका-सस्थाणसत्थाणपरिणद-वेउवियमिच्छादिट्ठीहि तिण्हं लोगाणमसंखेज्जदिभागो, तिरियलोगस्स संखेज्जविभागो, अड्डाइज्जादो असंखेज्जगुणो फोसिदो। विहारवदिसत्थाणवेदण-कसाय-वेउवियपरिणदेहि अट्ठ चोद्दसभागा फोसिदा। उववादो पत्थि । मारणंतियपरिणदेहि तेरह चोदसभागा फोसिदा, हेट्ठा छ, उवरि सत्त रज्जू । घणलोगमेगरूव्वस अट्ठतेरसभागूण-सत्तावीसरूवेहि खंडिद एग खंडं फोसंति त्ति वृत्तं होइ ।
सासणसम्मादिट्टी ओघं।
-षट्० खण्ड ० १ । ४ । सू ९२ । पु ४ । पृष्ठ० २६७ टीका--एदस्स वट्टमाणपरूवणा खेत्तभंगो। सत्थाणसत्थाण-परिणदवेउवियकायजोगिसासणसम्मादिट्ठीहि तिण्हं लोगाणमसंखेज्जविभागो, तिरियलोगस्स संखेजदिभागो, अड्डाइज्जादो असंखेज्जगुणो। एस्थ तिरियलोगस्स संखेज्जदिभागपरूवणं पुन्वं व वत्तव्वं । विहारवदिसत्थाण-वेदणकसाय-वेउन्वियपरिणदेहि
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