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टीका - सत्याण सत्थाण- 1 - विहारवदिसत्थाणवेदण- - कसाय- य-वेउव्विय-परिणदेहि असंजदसम्मादिट्ठीहि संजदासंजदेहि तिण्हं लोगाणमसंखेज्जदिभागो, तिरियलोगस्स संखेज्जदिभागो, अड्डाइज्जादो असंखेज्जगुणो । एसो वा सद्दसूचिदत्थो । मारणंतिय ( उववाद ) परिणदेहि छ चोहसभागा देसूणा पोसिदा, अच्चदकप्पादो उवरि असंजदसम्मादिट्ठिसंजदासंजदाणमुववादाभावादो ।
पत्तसंजद पहुडि जाव सजोगिकेवलीहि केवडियं खेत्तं पोसिदं, लोगस्स असंखेज्जदिभागो ।
- षट्० ० खण्ड ० १ । ४ । सू ८७ । ४ । पृष्ठ० २६२ । ३
टीका - एदेसिमट्टहं गुणट्टाणाणं तिण्णि वि काले अस्सिदृण परूवणं कोरमाणे खेत्तपोसणाणं मूलोघपमत्तादिपरूवणाए समाणा परूवणा कादव्वा । वरि सजोगिकेवलिम्हि कवाड - पदर - लोग पूरणाणि णत्थि । तं कधं णव्वदे ? जोगकेवलीहि लोगस्स असंखेज्जा भागा सव्वलोगो वा फोसिदो त्ति सुत्तेण अणिद्दित्तादो ।
औदारिक काययोगी जीवों में मिथ्यादृष्टियों का स्पर्शन क्षेत्र ओघ के समान सर्वलोक में है ।
अस्तु द्रव्यार्थिकन की प्ररूपणा में तो ओघपना घटित होता है, किन्तु पर्यायार्थिकनय की प्ररूपणा में ओघपना घटित नहीं होता है, क्योंकि औदारिककाययोग के विरुद्ध करने पर विहार वत्स्वस्थान और वैक्रियिक पदों के स्पर्शन का क्षेत्र आठ बटे चौदह (१४) भाग नहीं पाया जाता है । इससे यहाँ पर भेद प्ररूपणा की जाती है । स्वस्थान स्वस्थान, वेदना, कषाय और मारणान्तिकपदपरिणत औदारिककाययोगी मिथ्यादृष्टि जीवों ने तीनों ही कालों में सर्वलोक स्पर्श किया है । यहाँ पर उपपाद नहीं है । क्योंकि औदारिककाययोग और उपपादपद- इन दोनों का सहानवस्थान लक्षण विरोध है । वर्तमानकाल में क्रियिकपदपरिणत उक्त जीवों ने सामान्यलोक आदि चार लोकों का असंख्यातवां भाग और मनुष्यलोक से असंख्यातगुणा क्षेत्र स्पर्श किया है । अतीत और अनागत इन दोनों कालों में सामान्यलोक आदि तीन लोकों का संख्यातवां भाग और नरलोक तथा तिर्यग्लोक, इन दोनों लोकों से असंख्यातगुणा क्षेत्रस्पर्श किया है, क्योंकि यहाँ पर वायुकायिक जीवों के वैयिक पद संबंधी स्पर्शन क्षेत्र की प्रधानता से विवक्षा की गई है । विहार वत्स्वस्थान पद से परिणत औदारिक काययोगी मिथ्यादृष्टि जीवों ने वर्तमानकाल में सामान्यलोक आदि तीन लोकों का असंख्यातवां भाग, तिर्यग्लोक का संख्यातवां भाग और अढाईद्वीप से असंख्यातगुणा क्षेत्र स्पर्श किया है । उन्हीं जीवों ने अतीतकाल और अनागतकाल में सामान्यलोक आदि तीन लोकों का असंख्यातवां भाग, तिर्यग्लोक का संख्यातवां भाग और अढाईद्वीप से असंख्यातगुणा क्षेत्र स्पर्श किया है ।
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