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अपने अवहारकाल से असंख्यातगुणा है। असंयत सम्यग्दृष्टियों का द्रव्य सासादन सम्यगदृष्टियों से असंख्यातगुणा है। पल्योपम असंयत सम्यग्दृष्टियों के द्रव्य से असंख्यातगुणा है। कार्मणकाययोगी मिथ्यादृष्टियों का द्रव्य पल्योपम से अनंतगुणा है ।
अब सर्व परस्थान में अल्पबहुत्व प्रकृत है । १-आहारकमिश्र-काययोगी जीव सबसे स्तोक है। २–आहारक काययोगी जीव आहारकमिश्र काययोगियों से संख्यातगुणे है । ३-अप्रमत्त संयत जीव आहारक काययोगियों से संख्यातगुणे है । ४–प्रमत्तसंयत जीव अप्रमत्तसंयतों से संख्यातगुणे है । ५-सभी का असंयतसम्यम्दृष्टि अवहारकाल प्रमत्तसंयतों से असंख्यातगुणा है ।
इसी प्रकार पल्योफ्म तक ले जाना चाहिए।
चूंकि वैक्रियमिश्र, औदारिकमिश्र और कार्मण-काययोगियों में सासादन-सम्यग्दृष्टि और असंयतसम्यग्दृष्टि राशियों का महात्म्य अर्थात् परस्पर अल्पबहुत्व नहीं जाना जाता है। अत: ऐसा समझना चाहिए ।
क्योंकि वहाँ अन्य आचार्यों का अभिप्रायान्तर दिखलाना उनके अल्पबहुत्व के कथन का प्रयोजन था।
पल्योपम के ऊपर वचनयोगियों का अवहारकाल असंख्यातगुणा हैं। अनुभय वचनयोगियों का अवहारकाल वचनयोगियों के अवहारकाल से विशेषाधिक है। वैयिककाययोगियों का अवहारकाल अनुभय वचनयोगियों के अवहारकाल से संख्यातगुणा है।
__इसी प्रकार उभयवचनयोगी, मृषावचनयोगी और सत्यवचनयोगी जीवों का अवहारकाल उत्तरोत्तर संख्यातगुणा है। अनुभय मनोयोगियों का अवहारककाल सत्यवचनयोगियों के अवहारकाल से विशेषाधिक है। उभयमनोयोगियों का अवहारकाल अनुभय वचनयोमियों के अवहारकाल से संख्यातगुणा है।
इसी प्रकार असत्य-मनोयोगी, सत्थ-मनोयोगी और वैक्रियिकमिश्र-काययोगियों का अवहार काल उत्तरोत्तर संख्यातगुणा है।
उन्हीं की अर्थात् वैक्रियिकमिश्र-काययोगियों की विष्कंभ सूची उन्हीं के अवहारकाल से असंख्यातगुणी है। सत्य-मनोयोगियों की विष्कंभ सूची वैक्रियिकमिश्र-काययोगियों की विष्कंभ सूची से संख्यातगुणी है।
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