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५० सयोगी अक्रियावादी अप्कायिक यावत् वनस्पतिकायिक व भवसिद्धिक
अभवसिद्धिक सयोगी अज्ञानवादी
जाव वणस्सइकाइया।
--भग० श ३० । उ १ । सू ३४ इसी प्रकार सयोगी, काययोगी अक्रियावादी, अज्ञानवादी अपकायिक यावत् वनस्पति कायिक जीव भवसिद्धिक भी है, अभवसिद्धिक भी है। .५१ सयोगी द्वीन्द्रिय यावत् चतुरिन्द्रिय अक्रियावादी और भवसिद्धिक-अभवसिद्धिक
अज्ञानवादी ' बेइंदिय-तेइंदिय-चरिदिया एवं चेवx xx। णवरं सम्मत्ते ओहिणाणे आभिणिबोहियणाणे सुयणाणे एएसु चेव दोसु मज्झिमे समोसरणेसु भवसिद्धिया णो अभवसिद्धिया, सेसं तं चेव ।
-भग० श ३० । उ १ । सू ३४ सयोगी-काययोगी-वचनयोगी द्वीन्द्रिय से चतुरिन्द्रिय अक्रियाबादी, अज्ञानवादी श्वसिद्धिक भी है, अभवसिद्धिक भी है । लेकिन सम्यक्त्वी, आभिनिबोधिकज्ञानी, श्रुतज्ञानी जीव दोनों समवसरण में भवसिद्धिक है, अभवसिद्धिक नहीं है । .५२ सयोगी तिर्यचपंचेन्द्रिय और समवसरण को अपेक्षा भवसिद्धिक-अभवसिद्धिक पंचिदियतिरिक्खजोणिया जहा रइया, गवरं गायव्वं जं अस्थि ।
--भग० स ३० । उ १ । सू ३४ सयोगी-मनोयोगी-वचनयोगी व काययोगी क्रियावादी तिर्यंच पंचेन्द्रिय भवसिद्धिक है, अभवसिद्धिक नहीं है।
अक्रियावादी, अज्ञानवादी, विनयवादी तिर्यंच-पंचेन्द्रिय भवसिद्धिक भी है, अभवसिद्धिक भी है। '५३ सयोगो मनुष्य और समवसरण को अपेक्षा भवसिद्धिक-अभवसिद्धिक
मर्गुस्सा जहा ओहिया जीवा । (सजोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा।) अयोगी जहा समदिट्टी।
-भग० श ३० । उ १। सू३४ सयोगी-मनोयोगी-वचनयोगी व काययोगी मनुष्य क्रियावादी भवसिद्धिक है, अभवसिद्धिक नहीं है। अक्रियावादी, अज्ञानवादी, विनयवादी मनुष्य भवसिद्धिक भी है, अभवसिद्धिक भी है । अयोगी क्रियावादी मनुष्य भवसिद्धिक है, अभवसिद्धिक नहीं है ।
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