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( ९७ ) .१४ सयोगी मनुष्य और समवसरण १५ अयोगी मनुष्य और समवसरण मणुस्सा जहा जीवा तहेव गिरवसेसं ।
-भग० श ३० । उ १। सू १
सयोगी-मनोयोगी-वचनयोगी-काययोगी मनुष्य औधिकजीव की तरह क्रियावादी भी है। अक्रियावादी, अज्ञानवादी और विनयवादी भी है ।
अयोगी मनुष्य क्रियावादी होते हैं। भक्रियावादी, अज्ञानवादी और विनयवादी नहीं है।
.१६ सयोगी वाणव्यंतर देव और समवसरण •१७ सयोगी ज्योतिषी देव और समवसरण .१८ सयोगी वैमानिक देव और समवसरण
वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा।
- भग० श ३० । उ १। सू.
सयोगी-मनोयोगी-वचनयोगी-काययोगी वाणव्यंतर ज्योतिषी-वैमानिकदेव क्रियावादी भी होते हैं । अक्रियावादी, विनयवादी और अज्ञानवानी भी होते हैं। .१९ क्रियावादी सयोगी जीव का आयुष्य-बन्ध समवसरण को अपेक्षा से
१ सलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावाई कि रइयाउयं पकरेंति-पुच्छा। गोयमा! णो णेरइयाउयं एवं जहेव जीवा तहेव सलेस्सा वि चउहि वि समोसरणेहि भाणियव्वा। (औधिक जीव पाठ-किरियावाई णं भंते ! जीवाxxx णो रइयाउयं पकरेंति, णो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्साउयं पि पकरेंति, देवाउयं पि पकरेंति। ४ प्र१०) xxx सजोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा xxx।
-भग० श ३० । उ १ । सू १३ और २२ क्रियावादी सयोगी जीव नरकायु और तियंचायु का बन्ध नहीं करता है तथा मनुष्यायु और देवायु का बन्ध करता है। देवायु में भी बे सिर्फ वैमानिक देवों की आयु बांधते हैं। परन्तु भवनपति, बाणव्यंतर और ज्योतिषी देव का आयुष्य नहीं बांधते हैं। २० अक्रियावादी विनयवादी और अज्ञानवादी सयोगी जीव और आयुष्यबंध
समवसरण को अपेक्षा से
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