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०६ वैक्रियमिश्र काययोगी जीव को नियमा- भजना ०७ आहारक काययोगी जीव की
०८ आहारक मिश्र
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वेविवयमिसकायजोगी आहारकायजोगी आहारमिस्सकायजोगी सिया
अस्थि सिया णत्थि ।
-षट्० [० खं २ । ४ । सू ११ । पु ७ । पृष्ठ० २४०
क्रियमिश्र काययोगी, आहारक काययोगी तथा आहारकमिश्र काययोगी कदाचित् रहते हैं, कदाचित् नहीं भी रहते हैं 1
- ३३ सयोगी जीव और समवसरण
- १ सलेस्सा णं भंते ! जीवा कि किरियावाई - पुच्छा । गोयमा ! किरियाबाई वि, अकिरियावाई वि, अण्णाणियवाई वि, वेणइयवाई वि । एवं जाव सुक्कलेस्सा । x x x । सजोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा 1
- भग० शे ३० 1 उ १ 1 सू ३-६
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सयोगी जीव क्रियावादी भी होते हैं, अक्रियावादी भी हैं, अज्ञानवादी भी हैं तथा विनयवादी भी हैं 1
मनोयोगी, वचनयोगी व काययोगी जीव क्रियावादी भी हैं, अक्रियावादी भी हैं, अज्ञानवादी भी है, व विनयवादी भी है ।
- २ अलेस्सा णं भंते ! जीवा - पुच्छा । गोयमा ! किरियावाई, णो अकिरियावाई, णो अण्णाणियवाई, णो वेणइयवाई । x x x । अजोगी जहा अलेस्सा |
- भग० श ३० । ३१ । ४-६
अयोगी जीव क्रियावादी होते हैं; अक्रियावादी, अज्ञानवादी तथा विनयवादी नहीं
होते हैं ।
•३ सयोगी नारकी और समवसरण
ससी णं भंते । मेरइया कि किरियाचाई ? एवं चैव । एवं जाव काउलेस्सा । xxx एवं एएणं कमेणं जच्चेव जीवाणं वत्तव्वया सच्चेव रयाणं वत्तव्वया वि जाव अणागारोबउत्ता । णवरं जं अस्थि तं भाणियव्वं, सेसं णं भण्णइ ।
-- भग० श ३० । १ । स ६
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