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इसके गहन गम्भीर तत्त्वज्ञान के प्रति सर्व साधारण को आकृष्ट करना और इस तरह समाज की सेवा करना ही है ।
अस्तु योग कोश (द्वितीय खण्ड ) को प्रकाशित करने में भी भमकु देवी मेमोरियल ट्रष्ट, मारफत श्री फतेहचंद चैनरूप भन्साली ने हमें आर्थिक सहयोग दिया है । इसके लिए समिति उन्हें धन्यवाद ज्ञापित करती है ।
पुनश्च योग कोश के तीन खण्ड किये गये हैं जिसका पहला व द्वितीय खण्ड आपके सामने आ गया है । प्रस्तुत कोश का प्रतिपादन अत्यन्त प्राञ्जल एवं प्रभावक भाषा रूप में सूक्ष्मता के साथ किया गया है ।
जैन दर्शन समिति के भूतपूर्व अध्यक्ष स्व० जबरमलजी भण्डारी, वर्तमान अध्यक्ष श्री गुलाबमल भण्डारी, पद्मचन्दजी नाहटा, इन्द्रमलजी भण्डारी, अभयसिंहजी सुराणा, माँगीलालजी लूणिया, नवरतनमल सुराणा, हीरालाल सुराणा, अजीत बाँठिया आदि समिति के उत्साही सदस्यों, शुभचिन्तकों एवं संरक्षकों का साहस निष्ठा का उल्लेख करना मेरा कर्तव्य है । जिनकी इच्छाएँ और परिकल्पनाएँ मुर्त रूप में मेरे सामने आ रही है ।
स्व० मोहनालजी बांठिया तथा श्री श्रीचन्दजी चोरड़िया अनेक पुस्तकों का अध्ययन कर योग कोश ( द्वितीय खण्ड ) को तैयार कर हमें प्रकाशित करने का मौका दिया उनके प्रति हम आभारी हैं ।
हमारी समिति द्वारा व पुस्तकें प्रकाशित हुई है जिसमें लेश्या कोश व क्रिया कोश स्टोक में नहीं है अवशेष ६ पुस्तकें स्टोक में है । हमारी समिति के निर्णयानुसार ३०० ) देने वाले सज्जनों को ४०५) रु० का पुस्तकें दी जाती है ।
१ - मिथ्यात्वी का आध्यात्मिक विकास
२ - वर्धमान जीवन कोश, प्रथम खण्ड
३ - वर्धमान जीवन कोश, द्वितीय खण्ड ४ - वर्धमान जीवन कोश, तृतीय खण्ड
५ - योग कोश, प्रथम खण्ड
६ - योग कोश, द्वितीय खण्ड
१००)
१००)
४०५)
जैन दर्शन समिति ने जैन दर्शन के प्रचार करने के उद्देश्य से योग कोश द्वितीय खण्ड का मूल्य केवल १००) रखा है। जैन - जैनेतर सभी समुदायों से हमारा अनुरोध है कि योग कोश क्रय करके अंततः अपने सम्प्रदाय के विद्वानों, भण्डारों में, पुस्तकालयों में इसका यथोचित वितरण करने में सहयोग दें ।
राज प्रोसेस प्रिन्टर्स के मालिक महेन्द्र राज मेहता तथा उनके कर्मचारी धन्यवाद के पात्र हैं जिन्होंने अनेक बाधाओं के होते हुए भी प्रकाशित करने में सक्षम रहे हैं ।
१०-१२-१९९६
कलकत्ता
१५)
५०)
६५)
७५)
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पद्मकुमार रायजादा, मन्त्री जैन दर्शन समिति
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