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( ५३ ) •२९ ११ सयोगी मनुष्य में कषायोपयोग के विकल्प
मणुस्साणं वि जेहि ठाणेहि नेरइयाणं असीइभंगा तेहि ठा!ह मणुस्साण वि असीइभंगा भाणियव्वा, जेसु ठाणेसु सत्तावीसा तेसुअभंगयं, नवरं मणुस्साणं अहियं जहनियाठिई ( ठिइए ) आहारए असीइभंगा।
-भग० श १ । उ ५ । सू १९५ मनुष्य के एक-एक आवास में वासित मनोयोगी, वचन योगी व काय योगी मनुष्य में कषायोपयोग के विकल्प नहीं कहने । •२९.१२ सयोगी भवनपति देव में कषायोपयोग के विकल्प
चउसट्ठीए णं भंते ! असुरकुमारावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि असुरकुमारावासंसिअसुरकुमाराणं केवइया ठिइट्टाणा पन्नत्ता, गोयमा! असखेज्जा ठिइट्टाणा पन्नत्ता, जइण्णिया ठिइजहा नेरइया तहा, नवरं-पडिलोमा भंगा भाणियन्वा । सन्वेवि तावहोज्ज लोभोवउत्ता। अहवा लोभोवउत्ताय, मायोवउत्तय, अहवा लोभोवउत्ता य, मायोवउत्ता य। एएणं गमेणं नेयव्वं जाव थपियकुमारणं नवरं नाणत्तं जाणियव्वं ।
-भग० श १ । उ ५ । सू १९०
असुर कुमार के चौसठ लाख आवासों में एक-एक असुर कुमारावास में वासित मनोयोगी, वचनयोगी, काययोगी असुरकुमार में लोभोपयोग, मायोपयोग, मानोपयोग व क्रोधोपयोग के सत्ताईस विकल्प कहने । नारकियों में क्रोध के बिना छोड़े विकल्प होते हैं परन्तु देवों में लोभ को बिना छोड़े विकल्प बनते हैं। अतः प्रतिलोम अंश होते हैं-ऐसा कहा गया है।
इसी प्रकार नागकुमार से स्तनितकुमार तक कहना। परन्तु आवासों की भिन्नता जाननी । २९ १३ सयोगी वाणव्यंतर देव में कषायोपयोग के विकल्प
वाणमंतरजोइसवेमाणिया जहाभवणवाणी नवरं नाणत्तं जाणियव्वं जं जस्स जाव अनुत्तरा।
-भग० शे १ । उ ५ सू १९६ वाणव्यंतर के असंख्यात लाख आवासों में एक-एक आवास में वासित मनोयोगी, बचनयोगी, काययोगी वाणव्यंतर में भवनवासी देवों की तरह क्रोधोपयोग, मायोपयोग, मानोपयोग व क्रोधोपयोग के सत्ताईस विकल्प कहते ।
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