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काय योग के विषय में इसी प्रकार जानना चाहिए। काय योग सभी जीवों के होता। इसी प्रकार वैमानिक तक कहना चाहिए। .१६ सयोगी जीव और योग प्राप्त करने की विधि
जघन्य योग से उत्कृष्ट योग प्राप्त करने की विधि
सो जोगो किविधो त्ति भणिदे एगो तिरिक्खाउयं जहण्णजोग-जहण्णबंधगद्धाहि बंधिय कदलीघादं काढूण समऊणुक्कस्सबंधगडाए जहण्णजोगेण णिरयाउयं बंधिय पुणो एगसमयं जत्तियमेत्ताणि जोगट्टाणाणि चडिदु सक्कदि तत्तियमेत्ताणं जोगट्ठाणाणं चरिमजोगट्ठाणमेत्तं गहिदं । एवं उक्कस्सबंधगद्धाए एगो समओ तप्पाओग्गमसंखेज्जगुणं जोगं पत्तो। जहा एसो एगसमओ तप्पाओग्ग मसंखेज्जगुणं जोगं गोवो एवं सेसेगेसमया वि तप्पाओग्गमसंखेज्जगुण जोगस्स दब्वा जावुक्कस्सणिरयाउअबंधगद्धाए सवे समया तप्पाओग्गमसंखेज्जगुणं जोगट्ठाणं पत्ता त्ति। एवमणेण विहिणा संखेज्जवारमुक्कस्सबंधगद्धा उवरि उवरि चढाविय णोदे उक्कस्सजोगं पावदि।
___ एवं णोदे एस्थ चरिमवियप्पो वुच्चदे। तं जहा—जलचरेसु जहण्णजोगजहण्णबंधगद्धाहि तिरिक्खाउयं बंधिय कदलीघादं काऊण उक्कस्सजोग-उक्कस्सबंधगद्धाहि णिरयाउअंबंधाविदे चरिमवियप्पो होदि । एवं तिरिक्खजलचरआउयदव्वमस्सिदूण णिरयाउअमप्पणोजहण्ण-दव्वप्पहुडि जावुक्कस्सदव्वेत्ति ताव परमाणुत्तरादिकमेण णिरंतरं गंतूण उक्कस्सं जादं ।
-षट्० खं ४, २, ४ । सू १२२ । पु १० । पृ० ३८०-८१ वह ( वर्धमान ) योग किस प्रकार का है ? इसके उत्तर में कहा गया है – कोई एक जीव जघन्य योग और जघन्य बन्धक काल के द्वारा तिर्यंच आयुष्य को बांधकर कदलीघात के द्वारा एक समय कम उत्कृष्ट बन्धककाल में जघन्य योग से नारकायु को बाँध कर पुन: एक समय में जितने मात्र योगस्थान चढ़ सकता है उतने मात्र योग स्थानों को अन्तिम योग स्थान के रूप में यहाँ पर प्ररूपणा की गई है।
इस प्रकार उत्कृष्ट बन्धक काल का एक समय तत्प्रायोग्य असंख्यातगुणे योग को प्राप्त हो जाता है। जिस प्रकार यह एक समय तत्प्रायोग्य असंख्यातगुणित योग को प्राप्त कराया गया है उसी प्रकार शेष एक-एक समय को भी तत्प्रायोग्य असंख्यातगुणे योग को प्राप्त कराना चाहिए। यह क्रिया तब तक करनी चाहिए जब तक उत्कृष्ट नारकायु सम्बन्धी बन्धक काल के सब समय तत्प्रायोग्य असंख्यातगुने योग को प्राप्त नहीं हो जाते । इस प्रकार संख्यात बार ऊपर चढ़कर ले जाने पर उत्कृष्ट योग को बन्धक काल प्राप्त होता है।
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