________________
(
49
)
पुरुष वेदी में-१५ योग नपुंसक वेदी में-१५ योग अवेदी में-७ सात ( अनेन्द्रिय की तरह) सकषायी में-१५ योग क्रोध कषायी में-१५ योग मान कषायी में-१५ योग माया कषायी में-१५ योग लोभ कषायी में-१५ योग अकषायी में-सात योग ( अनेन्द्रिय की तरह) सलेशी में-१५ योग | कृष्ण लेशी में-१५ योग नील लेशी में-१५ योग कापोत लेशी में-१५ योग तेजो लेशी में-१५ योग पदम लेशी में-१५ योग शुक्ललेशी में-१५ योग अलेशी में-योग नहीं है सम्यक्त्वी में-१५ योग सास्वादान सम्यक्त्वी में-१३ योग (आहारक व आदारकमिभ काययोग को
छोड़कर ) उपशम सम्यक्त्वी में-१५ योग क्षायिक सम्यक्त्वी में-१५ योग वेदक सम्यक्त्वी में-१५ योग क्षायोपशमिक सम्यक्त्वी में-१५ योग मिथ्यात्वी में-१३ योग-आहारक व आहारकमिश्र काययोग बाद देकर
सम्यग-मिथ्यात्वी में-१० योग (४ मन के, ४ वचन, औदारिक-वैक्रिय काययोग) सामायिक संयती में-१४ योग ( कार्मण काययोग छोड़कर) छेदोपस्थापनीय संयती में-१४ योग , परिहार विशुद्धि संयती-६ योग (४ मन के, ४ वचन के योग व १ औदारिक काययोग) सूक्ष्म-संपराय-संयती में-५ योग ( तीर्थकर की तरह) यथाख्यात संयती में-७ योग ( अनेन्द्रिय की तरह ) संयता-संयती में-१२ योग ( आहारक, आहारिकमिश्र व कामण काययोग बाद देकर ) असंयती में-१३ योग ( आहारक-आहारकमिश्र काययोग बाद देकर) सज्ञानी में-१५ योग मतिज्ञानी में-१५ योग
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org