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विभिन्न जीवों में योग इस प्रकार है१ सर्वजीव में-१५ योग २ नारकी में-११ योग ( ४ मन के, ४ वचन के, वैक्रिय, वैक्रियमिभ काय और
कार्मण काययोग। ३ तियच में-१३ योग ( आहारिक व आहारिक मिश्रकाय छोड़कर) ४ तियंचणी में-१३ योग ( ५ मनुष्य में-१५ योग ६ मनुष्यणी में-१३ योग (आहारक, आहारक मिभ काययोग छोड़कर ७ देवों में-नारकी की तरह ११ योग ८ देवी में-११ योग असंशी मनुष्य में-३ योग-औदारिक, औदारिकमिश्र व कामण काययोग असंज्ञी तिर्यंच पंचेन्द्रिय -४ योग (औदारिक, औदारिकमिश्र, व्यवहार भाषा
व कार्मणकाय योग) दीखते हुए धान के दाने में एक औदारिक काययोग चलती हुए मक्षिका में-दो योग-औदारिक काययोग व व्यवहार भाषा तीसरे गुणस्थान की नियमा में-८ योग (४ मन के व ४ वचन के योग) अपर्याप्त देव में-तीन योग (वे क्रिय, वैक्रिय मिश्र व कार्मण काययोग) अपर्याप्त मनुष्य में-तीन योग (औदारिक, औदारिकमिभ व कार्मणकाय योग) तीर्थ कर में-५ योग (सत्य वचन, व्यवहार वचन, सत्य मनोयोग, व्यवहार बनोबोग
तथा औदारिक काययोग सामान्य केवली में-७ योग ( अनेन्द्रिय की तरह ) सकायी में-१५ योग पृथ्वीकाय में-३ योग-औदारिक, औदारिकमिश्र व कार्मण काययोग अप्काय मेंसाधारण वनस्पतिकाय मेंवनस्पतिकाय में- , अग्निकाय मेंवायुकाय में-५ योग ( एकेन्द्रिय की तरह) त्रसकाय में-१५ योग सयोगी में-१५ योग मनोयोगी मैं --१४ योग (कामणकाय योग छोड़कर) वचनयोगी मेंकाययोगी में-१५ योग अयोगी में योग नहीं है सवेदी में-१५ योग स्त्री वेदी में-१३ योग ( आहारक व आहारकमिश्र काययोग वाद देकर )
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