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.०१४.०३ सूक्ष्म तेउकाय में
सुहुमते काइयाणं सुहुम आउकाइयाणं सुहुम- भंगो ।
- षट् ० खं० १, १ । टीका । पृ २ | पृ० ६११ औधिक सूक्ष्म अपकाय में औदारिक, औदारिक मिश्र और कार्मणकाय -- तीन योग
होते हैं ।
( १८७ )
.०१४.०३.०१ अपर्याप्त सूक्ष्म ते काय में
सुमते काइयाणं सुहुमआउकाइयाणं सुहुम- भंगो ।
-- षट् ० ० खं० १, १ । टीका । पु २ । पृ० ६११ अपर्याप्त सूक्ष्म अप्काय में औदारिक मिश्र और कार्मणकाय - दो योग होते हैं ।
.०१४.०३.०२ पर्याप्त सूक्ष्म ते काय में
सुमते काइयाणं सुहुमआउकाइयाणं सुहुम- भंगो । षट् ० खं० १, १ । टीका । पर्याप्त सूक्ष्म तेउकाय में एक औदारिक काययोग होता है । .०१३.०३.०२ )
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२ । पृ० ६११
.०१४.०३.०३ लब्धि- अपर्याप्त सूक्ष्म काय में सुहुतेकाइयाणं सुहुमआउकाइयाणं सुहुम- भंगो |
- षट् ० ० खं० १, १ । टीका । पु २ पृ० ६११ लब्धि अपर्याप्त सूक्ष्म तेउकाय में औदारिकमिश्र और कार्मणकाय - दो योग होते हैं । .०१४.०३.०४ निवृत्तिपर्याप्त सूक्ष्म तेउकाय में
सुमते काइयाणं सुहुमआउकाइयाणं सुहुम- भंगो ।
- षट् ० खं० १, १ । टीका । पृ २ | पृ० ६११ निवृत्तिपर्याप्त औधिक तेउकाय में औदारिक, औदारिकमिश्र और कार्मणकाय - तीन योग होते हैं ।
इनके अपर्याप्त काल में औदारिकमिश्र और कार्मणकाय - दो योग होते हैं ।
इनके पर्याप्त काल में एक औदारिक काययोग होता है । ( देखो पाठ .१३.०३.०४ ) ।
( देखी पाठ
.०१४.०४ बादर तेउकाय में
Xxx बादर ते काइयाणं तेसि चेव पज्जन्तापज्जत्ताणं च x x x बादरआउकाइयाणं तेसिं वेब पज्जन्तापज्जन्ताणं xxx भंगो ।
- षट ० खं १, १ । टीका । पु २ | पृ० ६१०
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