________________
आगमसद्दकोसो
नियोग नियोग अनुयोग, व्याच्या, निश्चय | निरंतरित [निरन्तरित अंतर रहित, सांधा sie भग. ३६०;
વિનાનું नियोज [नि + योजययोj, asj
राय. २७; - जीवा. १६७; सूय. ३४०
निरंभा निरम्भाधवैशेयनेन्द्रनी समाहिती निरइ [निति/राक्षस, भूख नक्षत्रानो आधिष्ठाता ठा. ४३७: भग. ४८९: सूर. ५६; चंद. ६०;
नाया. २२५, जंबू. २९५,३०६,३५४;
निरक्कय निराकृताहूर ४२८, त्यागे। निरइदेवता [निर्ऋतिदेवता] हुमो ९५२
पण्हा. १६; सूर. ५६; चंद. ६०;
निरक्छिय [निराकृताहुमो ७५२' निरइयार [निरतिचार मतियारसहित
उत्त. २८४; नाया. ७५,७८; पण्हा. ३३; निरनु निरर्थ निरर्थ, प्रयोशन रहित पत्र. १९०: जीय. ५,८;
उत्त. ८,२५,७६२; उत्त. ११२९; अनुओ. १११ निरढग [निरर्थकामओ G५२' निरंकुस [निरङ्कुश शरहित, स्वच्छ
उत्त. ९१; अनुओ. २२;
निरद्वय [निरर्थकामओ ७५२' निरंगण निरङ्गनासहित
उत्त. ७६१: उव. १७; राय ८४;
निरत निरतासात पन्न. ३७८; उत्त. ७९६;
पण्हा. ३४; निरंगणया [निरङ्गनता] रागरक्षितता
निरति नैर्ऋति]gो निरइ' भग. ३३३;
ठा. ९४; * अनुओ. २४६; निरंजण [निरञ्जन]। हित, भुत निरतियार निरतिचार मतियारसहित सूय. ६७०: जंबू. ४४:
भग. ९३६; निरंतर निरन्तर सतत, भेश
निरत्थय [निरर्थक निरर्थ, व्यर्थ सूय. ३४९: ठा. ७५,१०४.१३२. | पण्हा. ९: तंदु. १५२ः १४६.४२९,४५७.७०१.९६५:
गच्छा. १३४: उत्त. ५८५: भग. ३६६,४५१,४५२,४५८,५६१,५८१. | निरनुकंप [निरनुकम्प अनुपास्त, निय
५८५.५९२,५९९,६६४,७९२,१०६८ः नाया. ४५,५०: पहा. ८,१६; पण्हा. ८.१९: उव. ६:
अनुओ. २२: राय १०,४८.६७
निरनुक्कोस [निरनुक्रोश] ध्यारहित जीवा. १५९,१८५:
नाया. ४५,५०ः पन्न. ३३०.३३१.३४८,३४९.३७३.३८९.
निरनुताव [निरनुताप] पश्चाता५२हित ३९३,५००.५०२,५०६.५२६ थी ५२९:
नाया. ४५.५० जंबू. ३४.२१४.२१७:
निरभिराम [निरभिरामसुंधर, अयार नंदी. ६६: अनुओ. १२२:
पण्हा. ८.१५.१६.२०ः निरंतराय [निरन्तराय मंतरायरहित
निरय निरत आसत, तीन उत्त. १३५५: अनुओ. १६१:
भग. ३५९, ३६०: पण्हा. ११:
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org