________________
૫૦.
आगमसद्दकोसो
निकामसुहकाम [निकामसुखकाम नित्यसुष- || निकंख [निष्काङ्क्ष] मनिपाति કામની પ્રાર્થના કરતો
उत्त. ११४७; चउ. ३६;
निळखित निष्कासित क्षानोमभाव, अन्य निकाय [निकाय/भोक्ष, पृथ्वीया ॥२॥ દર્શનના પક્ષપાત રહિત, દર્શનાચારનો એક
वोनो समूह, ४थ्यो, वा, शशि, आवश्य આચાર आया. १९,५१२,५१९,५३५;
ठा. २३७,३४७; नाया.६१,६६; सम. २१; उव. २१:
उव. ५०,५१: राय. ५५,६६: दस. ३२;
अनुओ. ६५: पत्र. १८९; उत्त. ११०६: निकाय [नि + काचय] नियमन २, due३पे || निकंखिय [निष्कासित हुमो ७५२' બાંધવું, નિમંત્રણ આપવું
- सूय. ६७१,७९४; उवा. १३; सूय. ६४१;
निक्वंटय [निष्कण्टक सो निक्कंकड निकाय [निकाच्या व्यवस्था शन, स्थापीने। गणि. ५; आया. १४६;
निकंत्तार [निष्कान्तार] माथी MARढेस, निकायण [निकाचन] निमंत्रए।
સંસારરૂપીવનમાંથી નીકળી પ્રવ્રુજિત થયેલ पिंड. ४७५,
ठा. १४३; निकायणा [निकाचना] भनु स्थापन, भोनो || निकट्ठ [निष्कृष्ट]हुपाशरीरवाणो, पाये। ગાઢ બંધ, આપવું
ठा. ३७९;
विवा. २१,२२; भग. १७; ओह. १२६:
निर. १८; निकास [निकासा तेना, सश निक्कट्ठप्प [निष्कृष्टात्मन्] अपायथी हुमणो पडेट्स भग. ८९८ः
આત્મા, સંસારમાંથી બહાર નીકળેલ निकुरंब [निकुरम्बा समूह, आणीभेध घटा ___टा. ३७९; उव. ३; राय. ३०,५६;
निक्कण [निष्कण धान्य एस्ति, अति गरीन जीवा. १६४,१८५; जंबू. ३२;
विवा. १९; पुष्फि .५;
निक्कमदंसि [निष्कर्मदर्शिन] मोक्षमानिएनार, निकुरुंब [निकुरुम्ब] अजीभेव च।
કર્મબંધથી મુક્ત, મુમુક્ષુ उव. १०
आया. ११८,१५२; निकेय [निकेत]आवास, ५२
निकलुण [निष्करुण] ध्यारहित नाया. १६६; उत्त. १२५०:
पण्हा . ५.८ निकंकड [निष्कण्टक] भाव२९॥ २हित, विन- || निक्कस [निर + कस पार नीg, निर्गमन
રહિત, કંટક રહિત ठा. ३२७: सम. २४१:
सूय. ५८३: उत्त. ४: उव. ५,४४, राय. १५,२९:
निक्कसाय [निष्कषाय] पायरहित, 5 माविजीवा. १५३,१५६,१६३:
તીર્થકર, ક્રોધાદિવર્જિત जंबू. ४.१३:
सम. ३५७: आउ. ६९: निक्कंकडछाया निष्कण्टकछाया]आवरणारात निक्कारणिग/निष्कारणिक] २९।२हित, स्तुशून्य પ્રકાશવાળું
महानि. १३८१: पन्न. २०३,२०५,२१७,२२६,२२८.२३४: ।।
કરવું
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org