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(सुत्तंकसहिओ)
४८
उव. ५०,५१: राय. ८४ चउ. १;
अनुओ. ६६,३१९: निंदणिज्ज (निन्दनीय निकायोग्य नाया. ६०,६२,७२,२१७; आउ. ३२;
महाप. ८; निंदा [निन्दा] निंह, उसए
पण्हा. ३६; उत्त. ३८९,७०४; निदिउँ [निंदितुम्] निंदवा माटे
महाप. ३०; निदिजमाण [निन्द्यमान] निहतो
भग. १६३; नाया. ९२,१६०;
पुष्फि . ८; निंदिता [निदाता] भां में मत पास वगैरे નિંદવામાં આવે તે ખેતી
जंबू. २४५; निंदित्तए [निन्दितुम्] निहा२पा माटे
टा. ७६,३८२: निंदित्ता [निन्दित्वा निहाशने
आया. ५१२; ठा. १३३; भग. १६२ निदिय [निन्दितनिहरेस, निहाल भत्त. ५६;
आव. ३६; निदियव्व [निन्दितव्यनिहावा योग्य
निंबसार [निम्बसार]
दींनो मध्यवती un __ पन्न. ४६५; निंबारग [निम्बारक निंपा२४
भग. ३९७,८२४; निंबोलिया [निम्बगुलिकासीमोडी
नाया. १५८,१६०; निकर [निकर] समूह
उव. ५, निकरण [निकरण] १२ए, ओईने
५ २ માનસિક દુઃખ આપવું તે
आया. ३०,९९; निकरिय [निकरिता सर्वथा संशोधित, सारीकृत
उव. १० निकस [निकप] सोनु घसवानी सोटी
अनुओ. ३०३; निकाअ [निकाय समूह, ४थ्यो
ओह. ७४७; पिंड. २; निकाइय [निकाचियनियुस्ति, तुष्टidule
દ્વારા વ્યવસ્થાપિત કરેલ, અત્યંત ગાઢ અધ્યવસાય સાથે બાંધેલ કર્મ કે જે ભોગવ્યા વિના છુટકો નથી सम. २१५ थी २२७,२३२:
नंदी. १३१ थी १४९,१५४; निकाइयकम्म [निकाचितकर्मन] मेवा हे
ભોગવ્યા સિવાય છુટે નહીં
पण्हा. २७; निकाम [नि + कामय्] अभिलाष:२वो
सूय. ४८३: निकाम [निकाम] नित्य प्रभाए। अतिरित
ભોજન કરતો
पिंड. ६४५; | निकाममीण [निकामयमान अत्यंत मिलाषा
કરતો, ઇચ્છા કરતો
सूय. ४८०: | निकामयंत [निकामयत्] अभिलाषा ४२७।
पण्हा. ३५,४५,
निंदु [निन्दु मृतवत्सास्त्री
अंत. ११; विवा. ३२: निदेयव्व [निन्दितव्य निहावा योग्य, निंध
उवा. १८; निंब [निम्बली), सीमोडी
भग. ३९७,७४०.८२४; जीवा. २४: पन्न. ३९,४६५:
उत्त. १३९२; निंबकरय [निम्बकरजमे वृक्ष
पन्न. ४१; निंबछल्ली [निम्बछल्लीदानी छ
पन्न. ४६५; निंबफाणिय [निम्बफाणितींनो आगो
पन्न. ४६५;
सूय. ४८३;
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