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आगमसद्दकोसो
गुणमूलउत्तर [गुणमूलोत्तर] भूत माने त२४९५ || भग, ५,६,१३०,१३४,३७७,३७८,४१०, महानि. १३२;
४८८,७२८,७४४,७४९; गुणरयण [गुणरत्न] में त५ विशेष
नाया. ९,२९,३०,३३,३८,४०,४२,१४५, अंत. ५,९,२६,३९; अनुत्त. १;
१४७,२१२,२२० थी २२२; गुणरयणचचिक्क [गुणरत्नचाकचिक्य शुसरत्न
उवा. ४८,४९; अंत. २६ थी २८; મંડિત
अनुत्त. १,११,१३; विवा. ३५; महाप. ७९;
निर. १,२;
पुष्फि. ३ थी ८;
पुष्फ. ३; दसा. ९४,९६,१०१; गुणरयणसंवच्छर [गुणरत्नसंवत्सर में विशेष
गुणसिला [गुणशिलक] मे येत्य તપ भग. ११४; नाया. ३९,४१;
भग. ५८७,६७१,७४३,७४९,७५५; अंत. ५,७,२६,३९,
गुणसे ढि [गुणश्रेणि] गु-श्रेणी,
अनुत्त. १; गुणव गुणवत्] गुवान
પુદ્ગલોની રચના વિશેષ पण्हा. ४५; दस. २२५;
पन्न. ६२१; अनुओ. ६७,३२०;
गुणसेढिया [गुणश्रेणिका] शुभो '५२' गुणवअ [गुणव्रत] हुमो ‘गुणव्वत'
उव. ५५; चउ. १;
गुणसेढीय [गुणश्रेणिक] मी ७५२' गुणवंत [गुणवत्] गुवान्
पन्न. ६२१; संथा. २८; उत्त, ८५६;
गुणहर [गुणधर] गुराने पा२५४२नार गुणवयण [गुणवचन] गुरासरी वull
जंबू. ९१; पण्हा. ४५;
गुणहीन [गुणहीन] गु. २रित गुणव्वत [गुणव्रत] श्रावनुंडे-सात माडं
गच्छा. १०९; વ્રત, મૂળગુણ સહાયક વ્રત
गुणाइन्न [गुणाकीर्ण] गु! 3 यायेत ठा. ३३६; पण्हा. ३८;
देविं. १; गुणवय [गुणव्रत] सुमो ७५२'
गुणाणुराएण [गुणानुरागेण] गुराना मनुरागथा आउ. ४
भत्त. ५४; गुणसंघाय [गुणसङ्घात] गुसनो समुह
गुणावह [गुणावह सुशोने प्राप्त शवनार भत्त. ४९; संथा. १०१,
उत्त. ७१२; गुणसंथव [गुणसंस्तव] गुनी प्रशंसा
गुणि [गुणिन्] सुवान् पिंड. ५३०;
नाया. १४४; गुणसंथवण [गुणसंस्तवन] “७५२'
गुणित [गुणित] गु९१२ ३८ पिंड. ५२८;
सूर. १८५;
अनुओ. २७५; गुणसंदोह [गुणसन्दोह] गुरा समूह
गुणिय [गुणित] Yut२ २८ चउ. ३५,४७;
ठा. १०८;
भग. ३१०,५१६; गुणसायर [गुणसागर] गुसानो सागर
जीवा. २८०; जंवू. २७; गच्छा. १०३,१११;
उत्त, १९०,६८७; अनुओ. २५१,
२७०,२८०,२८२,२८४,२८६; गुणसिलय [गुणशिलक] मे येत्य
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