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(सुत्तंकसहिओ)
ठा. १८५, ३४७:
भग. ८५,८६,११३,१६०, १६२,१६३. १७०, १७२,३२२,३२५,३३३,३३९,३५५, ३७५, ४०६, ४१०, ४६२, ४६५,५०८.५७८, ६२६,६४०,६४२,६५२,७००,७५०.८८४: नाया. ३५,३७,४८, ४९, ५१, ६२,६७.७५, ११२,११३, १२५, १४४, १४७, १५८. १५९,
१६४,१८२,२१०;
विवा. ९,१५:
राय. ७,१०,१२,५९
जंबू. १४०,२१४,२२७; संथा. ६५;
बुह. १२०, १२२, १३४, १५३, १५४: वव. १९८ श्री २००: दसा. ९६; दस. ७५,८६, १५६, १६०, १६१; उत्त. २३२,२४४, ८८१, ११४४, १२१६, १२४८, १२४९, १२६२, १२७२, १२८५.१२९८. १३१९;
एगंतगय [ एकान्तगत] खेडत्व भावनावाणो
आया. ४५३,४५५, ४५९, ४६४,४६५, ४८५, ४८८,५०१;
एतचारि [ एकान्तचारिन्] भेडात - ४नरहित
સ્થાનમાં વિચરનાર
पण्हा. १६;
उब. ४९;
सूर. १९७; निर. १२,१३,१५;
सूय. ७००,७०१,७०३:
एतदंड [ एकान्तदण्ड] [हिंसड
उव. ४४:
उवा. ४४ :
सूय. ७००,७०१.७०३:
एतदिट्टि [एकान्तदृष्टि] निश्चय द्रष्टि,
उत्त. ६५२;
एतदिट्ठिय [एकातदृष्टिक] निर्ग्रन्थ अवयन प्रति નિશ્ચય બુદ્ધિવાન્, ચારિત્ર પાલનમાં નિશ્ચય મતિવાન્
नाया. ३३, ४५,५०: अंत. १३; एतदिट्ठीय [ एकान्तदृष्टिक] '३५२'
भग. ४६४:
एतधारा [ एकान्तधारा] तीराधारा
अंत. १३:
एगंतधाराय [ एकान्तधाराक] तीराधारा युक्त
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भग. ४६४ :
नाया. ३३,४५, ५०:
एगंतनिजरा [ एकान्तनिर्जरा] निश्चयथी अर्भक्षय કરવો તે
महानि. १४८३:
एगंतपंडिय [ एकान्तपण्डित] पापथी निवृत्त, સર્વવિરતિ સાધુ
सूय. ७०४:
एगंतबाल [एकान्तबाल] अज्ञानी, मिथ्यादृष्टिखने અવિરત
सूय, ७००,७०१, ७०३;
एगंतय [ एकान्तक] भो एगंत
सूय. ७४२:
एगंतर [ एकान्तर] खेड खेडने अंतरे
૫૧૫
उव. ४४;
उत्त. १७१६;
एगंतरित [ एकान्तरित] खेडांतर मेवा खायंजिलઉપવાસ આદિ
ठा. २७०;
एगंतसुत [ एकान्तसुप्त ] भावनिद्रा, मोहमां अंधेल, सूय. ७००,७०१,७०३: उव. ४४;
एगंतसो [एकान्तशस्] खेडांते, सर्वथा
ठा. २५०, ४४३:
भग. १६०, १७२,४०५, ५०६,
एगति [ ऐकान्तिक ] अवश्य धनार, अद्वितीय, મિથ્યાત્વનો એકભેદ
सीय. ७६१; एक्वरिय [एकाक्षरिक ] खेड अक्षरवाणुं अनुओ. १५०;
एगखुर [एकखुर] मेजरवाणा पशु
सूय. ६८९;
भग. ५५९:
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ठा. ३७७; जीवा. ४४,४७,५३ः उत्त. १६४४;
पन्न. १६१:
एगग [ एकाकी ] खेडाडी, इडत खेडलो
उत्त. १०:
ठा. ४७६,६७०; एगगब्भवसहीय [एकगर्मवसहीय] गर्भमां वास
કરનાર
देविं. २२४ :
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