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(सुत्तंकसहिओ)
उन्नामियय [उन्नामितक] अमु नामथी प्रसिद्ध || उपसंत [उपशान्त] ७५ia થયેલ
पन्न. ५०५ . अनुओ. २३५:
उपायाण [उपादान] 64हान उन्नाय [उन्नाकाम विशेष
पन्न. १६; वण्हि . ३;
उपालद्ध [उपालब्ध] 848ोपायल उन्निख [उत् + नि + क्षिप्] Guj, Eluनो | पिंड. १२५; ત્યાગ કરવો
उपासग [उपासक] 64 सूय. ६३४,६३६
आया. ४६८; उन्निक्खेयव्व [उनिक्षेप्तव्य] 63वायोग्य, ही| उपेह (उत् + प्र + ईक्षा , सम४, निश्चय છોડવા યોગ્ય
કરવો, કલ્પના કરવી सूय. ६३५ थी ६४५,
आया. २८५; उपगच्छ [उप + गम्] IN Oj
उपेहाअसंजम [उपेक्षाअसंयमा शुभयोगनीप्रवृत्ति जंबू. ११९;
અને અશુભ યોગની નિવૃત્તિમાં બેદરકાર રહેવું उपगिज्झ [उप + गृधासस्तियवी
તે, એક પ્રકારે અસંયમ उत्त. २२७;
सम. ४२; उपचयंकर [उपचयगर] 64ययता
उपहासंजम [उपेक्षासंयम] सत्तरमांथी 5 जंबू. १०५;
સંયમ, શુભયોગ પ્રવૃત્તિ, અશુભયોગ નિવૃત્તિ उपचार [उपचार] ४, ७५यार
सम. ४२ महानि. ५९७;
उप्पाइत्ता उत्पत्य] 6५२ आपीने, 62 69ीने, उपज [उत्पघ्] उत्पन थकुंते
સંયમ લેતી વખતે સિંહની જેમ ઉડીને आउ. ४९ महाप. १४;
आया. ५२० सम. २४१: तंदु. ४६;
भग. १७३; नाया. ४१: उपप्पुय [उपलुप्त भीनुथयेट, ५९जी गये
उव. ५५;
जीवा. ३२४; जीवा. १०५:
पन्न. २२५ थी २२८,२३२,२३४: उपरिम [उपरितन] 6५२नु
सूर. ३१,११७; चंद. ३५,१२१; सम. १९१:
जंबू. १३; उपरिल्ल [उपरितन] ७५२नु
उप्पाइय [उत्पत्य]मो ७५२' सूर. १२०; चंद. १२४:
आया. २०६: उपलब्भ [उप + लभ] Guicम आपको, 648ो | उप्पइय [औत्पतिक] बुद्धिनो मेह આપવો
उत्त. ८१: ठा. ६३८:
उप्पइय [उत्पतित] ये गयेस, 63, उन्नत, उपलभ् [उप + लभ्] ओ '6५२'
ઉભુત, ઉત્પન્ન भग. ६४९:
भग. १७१.१७२,६५१; उपविट्ठ [उपविष्ट से
नाया. १७४; पण्हा. ३५;
उवा. ३०,३३,३५,३६,४७:
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