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________________ (सुत्तंकसहिओ) ४१ आया. १८४,३७५,३९४,४७३: ठा. ३३६ः सम. १३९.१४५; सूय. ६४१; नाया. २१०; विवा. २१,२२: ठा. ४७.४२४,४२९,५१२,९४५: निर. १८; सम. ५२: अंसगय [अंसगत मा ७५२' २३स भग. ११०.३८३,५२०,७५५,७८६: नाया. २१०: विवा. २१: नाया. २४: पण्हा. ४५: अंसहर [अंशधर महार जीवा. ५,८७; उत्त. ४२८: पन्न. ६ थी ९,३०८,३०९,३२४,५५३, | अंसिया [अंशिका] हिस्सो, नानोमा ५५४,५५५; बुह. ६,७३,७४; जंबू. ५१; तंदु. २२; अंसिया [अर्शिका रस-भसा ओह. ५५७,५६३; दस. १७२: भग. ६७१; उत्त. १४८२,१४९६; अंसु [अश्रु मांसु अनुओ. १५१,२३५,३०१; भग. ४६५,५२४,५८७; अंबिल [आचाम्ल आयंबिल, -त५ नाया. ३४,३८,६५; महानि. ४९२; आव. ८७; अंत. १३; पण्हा . ८: अंबिलरस [आम्लरसपाटो रस जंबू. ४६; उत्त. ७२०; भग. ३८३; अंसु /अंशु२९॥ अंबिलसाग [आम्लशाक] पाटुं॥ नाया. ३३; भग. ८२० अंसुधारा [अश्रुधारा सुनी धार अंबिलसाय [आम्लशाक] पाटुं॥ नाया. ३१; पन्न. ७५: अंसुय [अंशुका यीनाSAR, वस्त्र विशेष अंबिलिया [अम्लिका] Aively 13, wively | आया. ४७९; भग. ५४९; ફળ-કચીકો नाया. १८,२२; जीवा. १८५; भग. ७४०; जंबू.८८ निसी. ४७९ थी ४८१,११२० थी ११२२; अंबिलोदय [अम्लोदक] si dj अति पाट|| अनुओ. ४१; પાણી अंसुवाय [अश्रुपात मांसु ५४ पन्न. ३०; नाया. १११; अंबु [अम्बु] पाएगी अकंटय [अकण्टक] sinहित उव. ४४: भग. ५०६: उव. ३,६: अंबुत्थंभ [अम्बुस्तम्भ] पीने से पानी में राय. ४८; जीवा. १६४: કળા, ચોસઠમાંની એક કળા जंबू. ३२; उव. ५० अकंडुय [अकण्डूयक] शरीरमायावेतो५॥ अंबुभक्खि [अम्बुभक्षिन्] पाए। 6५२ वनार ખંજવાળે નહીં તે, અભિગ્રહધારી સાધુ उव. ४४: पुप्फि. ५; सूय. ६७० अंस [अंश] मा, हिस्सो अकंडुयण [अकण्डुयण] यावे तो पए। सूय. ४०४ ખંજવાળવું તે अंस [अंस] ॐध, wiध, भो महानि. ७६; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016024
Book TitleAgamsaddakoso Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgamdip Prakashan
Publication Year2001
Total Pages546
LanguagePrakrit, Sanskrit, Gujarati
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size25 MB
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