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________________ १४४ आगमसद्दकोसो भग. ४१०; उव. ५० अनिस्सेस्स [अनिःश्रेयस] स्याएहित निसी. १२६४,१३३६; दसा. ३; टा. ४२४; अनिस्स अनिश्रानिधारित अनिह [अस्निह] द्वेष वानी, अष्टभ उत्त. १२७७,१२९०,१३०३,१३१६, રહિત, ભાવ શત્રુ વડે નહણાયેલ १३२९,१३३२; आया. १४८,१६६,२०८: अनिस्सर [अनीश्वर असमर्थ, हरिद्री सूय. १०१.१४०,७७९; सम. ८०; उत्त. ८४१; अनिह [अनिभ] भाया रहित, ७५ वडे अनिस्सा [अनिश्रा] ओ नी अपेक्षा न रामवी અપરાજિત ते, मनोभभाव. दस. ४९७; बुह. २२,२४; अनिहण [अनिधन भ२९/विनाश रहित अनिस्सिओवस्सित [अनिश्रितोपश्रित/गद्वेष __ महानि. ४९२; રહિત આહાર અને શિષ્યાદિની અપેક્ષા રહિત अनिहत [अनिहत] नहीं मारेको, घात नहीं સાધુતે પામેલ, નિરુપક્રમ આયુવાળો भग. ४१३; सम. ३२७ अनिस्सिओवस्सिय [अनिश्रितोपश्रित] ओ || अनिहय [अनिहत]ो ७५२' "७५२' · पण्हा. १९; वव. २५१; अनिहयरिउ [अनिहतरिपु/शत्रुवडेन मारे, शत्रु अनिस्सिओवहाण [अनिश्रितोप्रधान निष्ठाम વડે ઘાત ન પામેલ તપ, એક પ્રકારનોયોગ સંગ્રહ अंत. १०, सम. १०३; अनिहुत [अनिभृत] ७५iत न थये अनिस्सित [अनिश्रित] प्रतिबंध रहित, || पण्हा. १६; અસંબદ્ધ, મમતા રહિત अनिहतिंदिय [अनिभृतेन्द्रियानेन्द्रियोशात ठा. ५६१; નથી તે अनिस्सितोवस्सित [अनिश्रितोपश्रित] भो || पण्हा. १६; 'अनिस्सिओवस्सित' अनिहुय [अनिभृतामो ‘अनिहुत' दसा. १५; पण्हा. ७,१३,१६; अनिस्सिय [अनिश्रित हुमो अनिस्सित अनीय [अनीक सैन्य, ११४२ दसा. ११; दस. ३५०; __ भग. ८४,१६७; निर. २०; उत्त. ७०६: अनीयाहिवइ [अनिकाधिपति]सेनापति अनिस्सियवयण [अनिश्रितवचन] २ मा राय. १६; દોષ રહિત વચન अनीस? [अनिसृष्ट] अनिक्षिप्त, असमंत, दसा. ९; અનનુજ્ઞાત, ગૌચરી-દોષ अनिस्सिर [अनीश्वर] असमर्थ, ६२दी पण्हा. ४५; दसा. ७० अनीसेस [अनिःश्रेयस शुभो ‘अनिस्सेयस' अनिस्सेयस [अनिःश्रेयस] ८याएहित ठा. ५३९: टा. १९५.२३७; दसा. १५; || अनीहड [अनिर्हत] 4६२ न0 stdj Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016024
Book TitleAgamsaddakoso Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgamdip Prakashan
Publication Year2001
Total Pages546
LanguagePrakrit, Sanskrit, Gujarati
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size25 MB
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