________________
२२ .
- जैन-लक्षणावली
संख्या प्रन्थकार समय (विक्रम संवत्) | संख्या ग्रन्थकार समय (विक्रम संवत्) १३० शुभचन्द्र (कार्ति. टी.) १६-१७वीं शती (१५७३ से | १४० सिद्धसेनसूरि (न्यायाव.) ७-८वीं शती १३१ श्यामार्य वाचक. विक्रम पूर्व १३५-६४ (वी. | १४१ सिद्धसेन गणिवीं शती
नि. ३३५-३७६ के पश्चात्) १३२ श्रीचन्द्रसूरि
१४२ सिद्धसेन सूरि (जी. क. १२२७ के पूर्व १२-१३वीं शती (जीतक. विषम पदव्याख्या सं.
१४३ सिद्धसेन सूरि (प्र. सारो. १३वीं शती (१२४८ या १२२७ में पूर्ण को) टीका)
१२७८). . १३३ श्रुतमुनि (भावत्रि.) १४वीं शती (१३९८) १४४ सोमदेव सूरि
११वीं शती . १३४ श्रुतसागर १६वीं शती
१४५ स्वामिकृमार सम्भवतः ११वीं शती १३५ समन्तभद्र २री शती
१४६ हरिचन्द्र १३वीं शती १३६ समयसुन्दर गणी
१४७ हरिभद्र सूरि ८-९वीं शती (ई. ७०० से
७७०) १३७ संघदास गणि ७वीं शती (जिनभद्र के
१४८ हरिभद्रसूरि (षड. वृ.) १२वीं शती पूर्ववती)
१४६ हेमचन्द्रसूरि (कलि- ११४५-१२३० (ई. १३८ सिद्धर्षि गणि ११वीं शती
काल सर्वज्ञ) १०८८-११७३) (न्यायाक. वृ.)
१५० हेमचन्द्रसूरि (मलधारीय) १२वीं शती (अभयदेव १३६ सिद्धसेन दिवाकर ६-७वीं शती
के पश्चात्) (सन्मति)
| १५१ हेमचन्द्र देशयति
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org