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सुरसुर पुं. 'सुर-सुर' आवाज । सुरह सक [सुरभय् ] सुगन्धित करना । सुरह पुंन [ सौरभ ] सुन्दर गन्ध, सुरह पुं [सुरथ] साकेतपुर का एक सुरहि पुंस्त्री [सुरभि ] वसंत ऋतु
मास । शतद्रु वृक्ष कर्म का एक भेद । सुरभि ।
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
खुशबू |
राजा ।
। चैत्र
| स्त्री गौ । न नामवि. सुगन्ध युक्त | देखो
सुरा स्त्री. दारू | रस पुं. समुद्र - विशेष | सुरिंदj[सुरेन्द्र ] इन्द्र । एक विद्याधर नरेश । 'दत्त पुं. एक राज कुमार । सुरिपुं [सुरेन्द्रक] देव-विमान- विशेष । स्त्री. देवी ।
सुरुंगा देखो सुरंगा ।
सुरुग्घ पुं [स्रुघ्न] देश - विशेष । 'ज वि. देशविशेष में उत्पन्न ।
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सुरूया स्त्री [सुरूपा ] | देखो सुरूवा । सुरूव पुं [सुरूप] भूत- निकाय के दक्षिण दिशा का इन्द्र । न. सुन्दर रूप । वि. सुन्दर रूप
वाला ।
सुरूवा स्त्री [ सुरूपा ] एक इन्द्राणी । सुरूप तथा प्रतिरूप भूतेन्द्रों की एवं भूतानन्द इन्द्र की एक-एक अग्र महिषी । एक दिशा कुमारी देवी । एक कुलकर - पत्नी । सुन्दर रूपवाली । सुरेस पुं [सुरेश] इन्द्र | उत्तम देव । सुरेसर पुं [सुरेश्वर] इन्द्र | सुलद्ध वि [सुलब्ध ] सम्यक् प्राप्त । सुलस पुं. पर्वत - विशेष !
सुलसन [ दे] कुसुम्भ-रक्त वस्त्र ! सुलसमंजरी
स्त्री [] तुलसी ।
सुलसा
सुलसा स्त्री. नववें जिनदेव की प्रथम शिष्या । भ० महावीर की एक श्राविका, आगामी तीर्थंकर | नाग गृहपति की स्त्री । शक्र की अग्रमहिषी, एक इन्द्राणी । शंखपुर के राजा सुन्दर की पत्नी ।
सुली स्त्री [दे] उल्का 1
सुलुसुल सुलुसुलाय
सुलोअ देखो सिलोअ = श्लोक |
सुलोयण पुं [ सुलोचन ] एक विद्याधर
नरेश ।
}
सुरसुर - सुवण
अक [सुलसुलाय् ] 'सुल' 'सुल' आवाज करना ।
सुलोल वि. अति चपल ।
सुल्ल न [ शुल्य ] शूला-प्रोत मांस । सुव अक [ स्वप्] सोना । सुव देखोस = स्व |
सुव (अप) देखो सुअ - श्रुत, सुत । सुग्गु [सुवल्गु ] एक विजय क्षेत्र, जिसकी राजधानी खड्गपुरी है ।
सुवच्छ पुं [सुवत्स] व्यन्तर- देवों का एक इन्द्र | एक विजय क्षेत्र, प्रान्त-विशेष, जिसको राजधानी कुंडला नगरी है ।
सुवच्छा स्त्री [ सुवत्सा] अधोलोक में रहनेवाली एक दिशा- कुमारी देवी । सौमनस पर्वत पर रहनेवाली एक देवी ।
सुवज्ज पुं [सुवज्र ] एक विद्याधर-वंशीय राजा । पुंन. एक देव - विमान | सुवण न [ स्वपन ] शयन ।
सुवण पुं [सुपर्ण] गरुड़ पक्षी । भवनपति देवों की एक जाति । सूर्य । " कुमार पुं. भवनपति देवों की एक जाति ।
सुवण पुं [] अर्जुन वृक्ष ।
सुवण न [सुवर्ण] सोना । पुं. भवनपति देवों की एक जाति | सोलह कर्म-माषक का एक बाँट | सुन्दर वर्ण । वि. सुन्दर वर्णवाला । 'आर, 'कार पुं. सोनी । 'कुंभ पुं [° कुम्भ ] प्रथम बलदेव के धर्म-गुरु । कुसुम न. सुवर्ण-यूथिका लता का फूल । 'कूला स्त्री. नदी- विशेष । 'गुलिया स्त्री ['गुलिका ] एक दासी । सिला स्त्री [शिला] एक महौषधि
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नगर पुं [कर ] सोने की खान । पुं[कार] सोनी। देखो सुवन्न = सुवर्ण ।
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