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८५२ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
सीरिअ-सौह सीरिअ वि [दे] भिन्न ।
| सीसक्क न [दे. शीर्षक शिरस्त्राण । सील सक [शीलय] अभ्यास करना, आदत सीसम पुंन [दे] सीसम का गाछ, शिशपा । डालना । पालन करना । देखो सीलाव। सीसय वि [दे] प्रवर, श्रेष्ठ । सील न [शील]चित्त का समाधान । ब्रह्माचर्य । | सीसय न [सीसक] देखो सीस = सीस । प्रकृति । सदाचार, चारित्र । चरित्र, वर्तन । सीसवा स्त्री [शिंशपा] सोसम का गाछ । अहिंसा । °इ पुं[जित्] क्षत्रिय परिव्राजक
सीह देखो सिग्घ : शीघ्र । का एक भेद । 'ड्ढ वि [ ढ्य] शील-पूर्ण ।।
सीह पुं [सिंह] सहिजने का पेड़ । मेष से परिघर पुन [°परिगृह] चारित्र-स्थान ।
पाँचवीं राशि । एक अनुत्तर देवलोक-गामी अहिंसा । °मंत्. व वि [°वत्] शील-युक्त ।
जैन मुनि । एक जैन मुनि, आर्य धर्म के °व्वय न [वत] अणुव्रत, जैन श्रावक के
शिष्य । भ० महावीर का शिष्य एक मुनि । पाँच व्रत । °सालि वि शालिन्] शील से
एक विद्याधर सामन्त राजा । एक श्रेष्ठि-पुत्र । शोभनेवाला।
एक देव-विमान । एक जैन आचार्य, रेवतीसीलाव सक [शीलय] तंदुरुस्त करना।
नक्षत्र आचार्य के शिष्य । छन्द-विशेष । 'उर सीलुट न [दे] त्रपुस, खीरा, ककड़ी।
न [°पुर] नगर-विशेष । °कंत पुन [°कान्त] सीव सक [सी] सीना । साँधना ।।
एक देव-विमान । °कडि पुं [कटि] रावण सीवणी स्त्री [दे] सूची। देखो सिव्विणी।
का एक योद्धा । "कण्ण पुं [कर्ण] एक सीवण्णी । स्त्री [श्रीपर्णी] वृक्ष-विशेष ।
अन्तर्वीप । कण्णी स्त्री [कर्णी] कन्दसीवन्नी ।
विशेष । 'केसर पुं. आस्तरण-विशेष, सीस सक [शिष्] वध करना । शेष करना
जटिल कम्बल । मोदक-विशेष । °गइ पुं विशेष करना।
[°गति] अमितगति तथा अमितवाहन नामक सीस सक [कथय] कहना ।
इन्द्र का एक-एक लोकपाल । °गिरि पुं. एक सीस न. धातु-विशेष, सीसा ।
जैन महर्षि । °गुहा स्त्री. एक चोर-पल्ली । सीस देखो सिस्स = शिष्य ।
'चूड पुं. विद्याधर-वंशीय राजा । 'जस पुं सोस पुंन [शीर्ष] मस्तक । स्तबक, गुच्छा । [°यशस्] भरत चक्रवर्ती का एक पौत्र । णाय
छन्द-विशेष । °अ न [क] शिरस्त्राण । ["नाद] सिंहगर्जन, उसके तुल्य आवाज । °घडी स्त्री [°घटी] गिर की हड्डी । °पकं- °णिक्कीलिय न [°निक्रीडित] सिंह की पिअ न [प्रकम्पित] महालता की चौरासी गति । तप विशेष । णिसाइ देखो °निसाइ। लाख गुनी संख्या। °पहेलिअ स्त्रीन [प्रहे. °दुवार न [°द्वार] राजद्वार । °द्धय पुं लिक] शीर्षप्रहेलिकांग की चौरासी लाख [ध्वज] विद्याधरवंशीय राजा । हरिषेण गुनी संख्या। स्त्री. °आ। °पहेलियंग न चक्रवर्ती के पिता । नाय देखो °णाय । [प्रहेलिकाङ्ग] चूलिका की चौरासी लाख निकोलिय, निक्कोलिय देखो °णिक्कीगुनी संख्या । पूरग, पूरय पुं ["पूरक लिय । निसाइ वि [°निषादिन] सिंह की मस्तक का आभरण । रूपक, °ारूअ (अप) तरह बैठनेवाला । णिसिज्जा स्त्री [°निषद्या] पुंन [°रूपक]छन्द-विशेष । °गवेढ पुं [ 'वेष्ट] भरत चक्रवर्ती द्वारा अष्टापद पर्वत पर गीले चमड़े आदि से मस्तक को लपेटना । बनवाया हुआ जैन मन्दिर । °पुच्छ न. पीठ सीस देखो सास = शास् ।
की चमड़ी। "पुच्छण न [°पुच्छन] पुरुष
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