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सावन्न-साहट्ठ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
८३९ प्राचीन राजधानी ।
सासण देखो सासायण। सावन्न (अप) देखो सामण्ण = सामान्य ।। सासणा स्त्री [शासना] शिक्षा । सावय देखो सावग।
सासणावण न [शासन] आज्ञापन । सावय पुं [श्वापद] शिकारी पशु ।
सासय वि [शाश्वत] नित्य । सावय पुं[दे] शरभ, श्वापद पशु । बालों की सासय पुं [स्वाश्रय] निज का आधार । जड़ में होनेवाला एक क्षुद्र कोट ।
सासव पु [सर्षप] सरसों। "नालिया स्त्री सावय पुं [शावक] बालक, बच्चा, शिशु ।। [°नालिका] कन्द-विशेष । सावरी स्त्री [शावरी] विद्या-विशेष । सासवूल पुं [दे] एक पेड़, कौंछ, कवाछ । सावसेस वि [सावशेष] अवशिष्ट ।
सासाण ) न [सास्वादन] द्वितीय गुणसावहाण वि [सावधान] सचेत ।
सासायण । स्थान । वि. उस में वर्तमान साविअ वि [शापित] जिसको शाप या सौगन्ध
जीव । दिया गया हो वह ।
सासि वि [श्वासिन्] श्वास-रोगवाला। साविआ स्त्री [श्राविका] जैन गृहस्थ-धर्म पालनेवाली स्त्री।
सासिदु (शौ) वि [शासित] शासन-कर्ता, साविक्ख वि [सापेक्ष] अपेक्षा-युक्त ।
शिक्षा-कर्ता। साविगा देखो साविआ।
सासुया देखो सासू। साविट्ठी स्त्री [श्राविष्ठी] श्रावण मास की सासुर न [श्वाशुर] श्वशुर-गृह । पूर्णिमा । श्रावण की अमावस ।
| सासुर (अप) देखो ससुर = श्वशुर । सावित्ती स्त्री [सावित्री] ब्रह्मा की पत्नी ।
| सासू स्त्री [श्वर्] सासू । साविह पुं [श्वाविध] श्वापद पशु, साही।
सासूय वि [सासूय] असूया युक्त, मत्सरी । सावेक्ख देखो साविक्ख ।।
| सासेरा स्त्री [दे] यन्त्र की बनी नर्तकी । सास सक [शास्] सजा करना। सीख देना।
साह सक [कथय्, शास्] कहना । हुकुम करना।
साह देखो सलाह = श्लाघ् । सास सक [कथय] कहना।
साह सक [साध] सिद्ध करना, बनाना। सास पुंश्वास ] साँस । श्वास-रोग। हरा साह पुं. [दे] बालू । उलूक । दही की स्त्री [°धरा] जीवन धारण करनेवाली।
मलाई। प्रिय, पति । सास पुन [शस्य, सस्य] क्षेत्र-गत धान्य । । साह (अप) देखो सव्व - सर्व । वृक्ष आदि का फल । वि. वध-योग्य ।। साहजण , पुं [दे] गोक्षुर, गोखरू । प्रशंसनीय । देखो सस्स = शस्य ।। साहंजय " सासग पुन [सस्यक] रत्न की एक जाति । साहंजणी स्त्री [साभाञ्जनी] नगरी-विशेष । सासग पुं. [सासक] बीयक नाम का पेड़। साहग वि [साधक] सिद्धि करनेवाला । सासण न [शासन] द्वादशांगी, बारह जैन साहग वि [शासक, कथक] कहनेवाला । अंग-ग्रन्थ, आगम, सिद्धान्त, शास्त्र । प्रति- साहज्ज न [साहाय्य] सहायता । पादन । शिक्षा। आज्ञा। ग्रास, निर्वाह- साहट सक [सं+वृ] संवरण करना, साधन । वि. प्रतिपादक । प्रतिपाद्य । °देवी समेटना । पिडीभूत करना। स्त्री. । °सुरा स्त्री [°सुरी ] शासन की साहटु अ [संहृत्य] समेट या संकुचित कर । अधिष्ठात्री देवी।
साहट्ठ वि [संहृष्ट] पुलकित ।
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