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सहिज्ज-साउल संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
८३१ सहिज्ज वि. देखो सहाअ = सहाय । स्त्री. । जन्मीय नाम । एक जैन मुनि । हैमवत-वर्ष ज्जी।
के शब्दापाती पर्वत का अधिष्ठायक देव ।। सहिण देखो सह + श्लक्ष्ण ।
साइ पुं [सादिन] घुड़सवार । सहिण्हु । वि [ सहिष्णु ] सहन करने की साइ पुंस्त्री [साति] उत्तम वस्तु के साथ हीन सहिर ) आदतवाला ।
वस्तु की मिलावट । अविश्वास । असत्य सही स्त्री [सखी सहेली।
वचन । अपेक्षा-कृत अच्छी चीज । जोग सही देखो सहि। 'वाय पं [°वाद मित्रता- | पुं[ योग] । °संपओग [ संप्रयोग] सचक वचन ।
मोहनीय कर्म । अच्छी चीज से हीन चीज सहीण वि [स्वाधीन] स्वायत्त, स्व-वश ।
की मिलावट । सह वि [सह] समर्थ, शक्तिमान् ।
साइ पुंस्त्री [दे] केसर । सहु (अप) देखो संघ ।
साइज्ज सक [स्वाद्, सात्मी+कृ] स्वाद सहं (अप) अ [सह] साथ, संग ।
लेना, खाना । अभिलाष करना। स्वीकार सहेज्ज देखो सहिज्ज।
करना । आसक्ति करना । अनुमोदन करना । सहेर (अप) पुं [शेखर] षट्पद छन्द का एक | साइज्जण न [स्वादन] अभिष्वङ्ग, आसक्ति । भेद ।
साइज्जणया स्त्री [स्वादना ] उपभोग, सहेल वि. हेला-युक्त, अनायास होनेवाला, | सेवा । सरल ।
साइज्जिअ वि [दे] अवलम्बित । सहोअर वि [सहोदर] तुल्य । पं. सगा भाई ।
साइज्जिअ वि [ स्वादित ] उपभुक्त । उपसहोअरी स्त्री [सहोदरी] सगी बहिन ।
भुक्त-सम्बन्धी । स्त्री. °या। सहोढ वि [सहोड] चोरी के माल से युक्त,
: माल से युक्त, | साइम वि [स्वादिम] पान, सुपारी आदि । स-मोष ।
साइय वि [सादिक] आदिवाला । सहोदर देखो सहोअर ।
साइय देखो सागय = स्वागत । सहोसिअ वि [सहोषित] एक-स्थान-वासी।
साइय न [दे] संस्कार। साअड्ढ सक [कृष् ] चाष करना, कृषि साइयंकार वि [दे] स-प्रत्यय, विश्वस्त । करना, खींचना ।
साइरेग वि [सातिरेक] साधिक, सविशेष । साअद (शौ) देखो सागद ।।
साइसय वि [सातिशय] अतिशयवाला। साइ वि [शायिन्] सोनेवाला ।
साई देखो सई = शची। साइ वि [सादि] आदि-सहित । न. संस्थान- | साउ वि [स्वादु] स्वादवाला, मधुर । विशेष, जिस शरीर में नाभि से नीचे के साउग वि [स्वादुक स्वादिष्ट भोजनवाला । अवयव पूर्ण और नाभि के ऊपर के अवयव साउज्ज न [सायुज्य] सहयोग, साहाय्य । हीन हों ऐसी शरीराकृति । सादिसंस्थान साउणिअ वि [ शाकुनिक ] पक्षियों का की प्राप्ति का कारण-भूत कर्म ।
शिकारी। शकुन-शास्त्र का जानकार । श्येन साइ न [साचि] सेमल का पेड़ । संस्थान- | पक्षी द्वारा शिकार करनेवाला । विशेष । देखो साइ।
साउय देखो साउग। साइ पुंस्त्री [स्वाति] नक्षत्र-विशेष । पुं. | साउय वि [सायुष् ] आयुवाला, प्राणी। भारतवर्ष में होनेवाले एक जिनदेव का पूर्व- साउल वि [संकुल] व्याप्त, भरपूर ।
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