________________
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
सरिस्सव-सव सरिस्सव देखो सरीसव।
पुं। हर पुं धर] मेघ । वई, गवती सरी स्त्री [दे] माला, हार ।
स्त्री [°वती] विजय-क्षेत्र-विशेष । वित्त न सरीर पुंन [शरीर देह । °णाम, 'नाम पुनः [°ावर्त] वैताढ्य पर्वत पर उत्तर दिशा[°नामन्] शरीर का कारण-भूत कर्म-विशेष ।। स्थित एक विद्याधर-नगर । °बंधण न [°बन्धन] कर्म-विशेष । °संघा- सलिला स्त्री, महानदी।
यण न [°संघातन] नाम कर्म का एक भेद । सलिलुच्छय वि [सलिलोच्छय] प्लावित, सरीरि पुं [शरीरिन्] जीव, आत्मा। डुबोया हुआ। सरीसव । [सरीसप] सर्प । सर्प की | सलिस अक [ स्वप् ] सोना । सरीसिव तरह पेट से चलनेवाला प्राणी। सलूण देखो स-लूण = स-लवण । सरूय । देखो स-रूय - स्व-रूप ।
| सलोग पुं श्लोक] । देखो सिलोग । सरूव ।
सलोग देखो स-लोग = स-लोक । सरूव देखो स-रूव = सद् रूप, स-रूप ।
सलोण देखो स-लोण = स-लवण । सरूवि पुं [स्वरूपिन्] जीव, प्राणी ।
सलोय देखो सलोग = श्लोक । सरेअव्व देखो सर = सृ. स्मृ का कृ.। सल्ल पुन [शल्य] अस्त्र-विशेष, तोमर, सांग । सरेवय पुं [दे] हस । घर का जलप्रवाह, शरीर में घुसा हुआ काँटा, तीर आदि । मोरी।
पापानुष्ठान । पापानुष्ठान से लगनेवाला कर्म । सरोअ । न [सरोज] कमल ।
पु. भरत के साथ दीक्षा लेनेवाले एक राजा । सरोरुह ।
न. छन्द-विशेष । °ग वि [क] शल्यवाला, सरोवर न. बड़ा तालाब ।
शूल आदि शल्य से पीडित । °ग न. सलभ देखो सलह = शलभ ।
परिज्ञान । सलली स्त्री [दे] सेवा ।
सल्ल पुंस्त्री [दे] हाथ से चलनेवाले सर्पसलह.सक [श्लाघ् ] प्रशंसा करना।
जातीय जन्तु की एक जाति । सलह पुं [शलभ] पतङ्ग । एक वणिक-पुत्र । | सल्लई स्त्री [सल्लकी] वृक्ष-विशेष । सलहत्थ पुं [दे] कुड़छी आदि का हाथा। सल्लग देखो सल्ल-ग = शल्य-क, शल्य-ग । सलाग न [शालाक्य आयुर्वेद का एक अंग, | सल्लग देखो स-ल्लग = सत-लग । जिसमें श्रवण आदि शरीर के ऊर्ध्व भाग के | सल्लहत्त न [शाल्यहत्य] आयुर्वेद का एक सम्बन्ध में चिकित्सा का प्रतिपादन हो।
अंग, जिसमें शल्य निकालने का प्रतिपादन सलागा । स्त्री [शलाका] सली, सलाई ।।
साराला सला, सलाई। किया गया हो। सलाया । पल्य-विशेष, एक प्रकार की | सल्ला स्त्री [शल्या] एक महौषधि । नाप । पुरिस पुं [पुरुष] २४ जिनदेव, | | सल्लिह देखो संलिह = सं + लिख् । १२ चक्रवर्ती, ९ वासुदेव, ९ प्रतिवासुदेव
सल्लुद्धरण न [शल्योद्धरण] शल्य को बाहर तथा ९ बलदेव ये ६३ महापुरुष । निकालना । आलोचना, प्रायश्चित्त के लिए सलाह देखो सलह = श्ला ।
गुरु के पास दूषण-निवेदन । सलिल पुंन. पानी । णिहि पुं[निधि] || सल्लेहणा देखो संलेहणा। 'नाह पुं [°नाथ] सागर । °बिल न. भूमि- | सल्लेहिय वि [संलेखित] क्षीण । निर्झर । रासि पुं[राशि] समुद्र । 'वाह ' सव सक [शप्] शाप देना, आक्रोश करना,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org