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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष अभिणिसज्जा-अभिप्पेय __ अकुपित । पाप से निवृत्त ।
हैरान करना। अभिणिसज्जा स्त्री [अभिनिषद्या] जैन साधुओं अभिद्दविय वि [अभिद्रुत] उपद्रुत, हैरान के स्वाध्याय करने का स्थान-विशेष । किया हुआ। अभिणिसट्ठ । वि [अभिनिसृष्ट] बाहर अभिदुय देखो अभिद्दविय । अभिणिसिट्र । निकला हुआ।
अभिधाइ वि [अभिधायिन्] वाचक, कहनेअभिणिसेहिया स्त्री [अभिनषेधिकी] जैन
वाला। साधुओं के स्वाध्याय करने का स्थान-विशेष । अभिधार सक [अभि +धारय] चिन्तन अभिणिस्सव अक [अभिनिर् + सु] निक
करना । स्पष्ट करना । धारण करना । लना।
अभिधेज्ज ) पुं [अभिधेय] अर्थ, वाच्य, अभिणी सक [अभि + नी] अभिनय करना । अभिधेय पदार्थ ।। अभिणम न [अभिनूम] माया, कपट । अभिनंदि स्त्री [अभिनंदि] आनन्द, खुशी। अभिण्ण वि [अभिज्ञ] जानकार, निपुण । अभिनिक्खम अक [अभिनिर् + क्रम्] दीक्षा अभिण्ण वि [अभिन्न] अत्रुटित, अविदारित, । (संन्यास) लेना, दीक्षा लेने की इच्छा करना। अखण्डित ।
अभिनिवेस सक [अभिनि+वेश्य] स्थापन अभिण्णपुड [दे]खाली पुड़िया, लोगों को ठगने करना । करना। के लिए लड़के जिसको रास्ता पर रख अभिनिवेसिय न [अभिनिवेशिक] मिथ्यात्व देते हैं।
| का एक प्रकार, सत्य वस्तु का ज्ञान होने पर अभिण्णाण न [अभिज्ञान] निशानी। भी उसे नहीं मानने का दुराग्रह । अभिण्णाय वि [अभिज्ञात विदित । अभिनिव्वट्ट अक [अभिनि + वृत्] पृथक् अभितज्ज सक [अभि + तर्ज] तिरस्कार होना । करना, ताड़न करना ।
अभिनिव्वट्ट सक [अभिनिर् + वृत्] खींचना । अभितत्त वि [अभितप्त] तपाया हुआ, गरम अभिनिव्वागड वि [अभिनिाकृत] विभिन्न किया हुआ।
द्वार वाला (मकान)। अभितव सक [अभि + तप्] तपाना। पीड़ा
'' अभिनिन्विट्ठ वि [अभिनिविष्ट] संजात, करना।
उत्पन्न । अभिताव सक [अभि + तापय] तपाना, गरम करना । पीड़ित करना।
अभिनिसढ वि [अभिनिःसट] जिसका स्कन्ध अभिताव पुं [अभिताप] दाह । पोड़ा। प्रदेश बाहर निकल आया हो वह । अभितास सक [अभि + त्रासय्] त्रास उप- अभिनिस्सव अक [अभिनि+स्र] टपकना, जाना, भयभीत करना।
झरना। अभित्थु सक [अभि + स्तु] स्तुति करना, अभिपल्लाणिय वि [अभिपर्याणित] अध्याश्लाघा करना, वर्णन करना ।
रोपित, ऊपर रखा हुआ। अभित्थुय वि [अभिष्टुत] स्तुत, श्लाचित । - अभिपवुटु वि [अभिप्रवृष्ट] बरसा हुआ । अभिथु देखो अभित्थु ।
अभिपाइय वि [आभिप्रायिक] अभिप्राय अभिदुग्ग वि [अभिदुर्ग] दुःखोत्पादक स्थान । सम्बन्धी, मनःकल्पित । अतिविषम स्थान ।
अभिप्पाय पुं [अभिप्राय] आशय,मनपरिणाम। अभिद्दव सक [अभि +दु] दुःख उपजाना, | अभिप्पेय वि [अभिप्रेत] इष्ट, अभिमत ।
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