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८१० संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
सनिअस्थ-सभल सन्निअत्थ वि [दे] परिहित, पहना हुआ। सप्पुरिस देखो स-प्पुरिस = सत्-पुरुष । सन्निउ (अप) देखो सणिों ।
सप्फ न शष्प] बाल-तृण, नया घास । सन्निर न [दे] पत्र-शाक, भाजी।
सप्फ न [दे] कुमुद, कैरव । सन्नुम सक [छादय] आच्छादन करना। | सप्फंद देखो स-प्फंद = स-स्पन्द । सप देखो सव = शप् ।
सप्फल देखो स-प्फल = स-फल । सत्-फल । सपक्ख देखो स-पक्ख = स-पक्ष । स्व-पक्ष । सफर देखो सभर = शफर।। सपक्खिं अ [सपक्षम्] अभिमुख, सामने । सफर पुंन [दे] मुसाफिरी। सपक्खी स्त्री [सपक्षी] एक महोषधि । सफल देखो स-फल = स-फल । सपज्जा स्त्री [सपर्या] पूजा ।
सफल सक [ सफलय ] सार्थक करना। सपडिदिसिं अ [सप्रतिदिक ] अत्यन्त संमुख । सफल करना। सपत्तिअ वि [सपत्रित] बाण से अतिव्यथित ।। सब (अप) देखो सव्व = सर्व । सपह देखो सवह।
सबर पुं[शबर] एक अनार्य देश । उस देश सपाग देखो स-पाग = श्व-पाक ।
की अनार्य जाति, किरात, भील । °णिवसण सपिसल्लग देखो सप्पिसल्लग ।
न [°निवसन] तमालपत्र । सप्प अक [सृप्] जाना, गमन करना, चलना, | सबरी स्त्री [शबरी] भिल्ल जाति की स्त्री। आक्रमण करना ।
कायोत्सर्ग का एक दोष, हाथ से गुह्य-प्रदेश सप्प पुंस्त्री [सर्प] साँप । स्त्री. °प्पी। पुं. | को ढककर कायोत्सर्ग करना। अश्लेषा नक्षत्र का अधिष्ठाता देव । एक नरक- सबल पुं [शबल] परमाधार्मिक देवों की एक स्थान । छन्द-विशेष । fपर [शिरस] जाति । वि. कर्बुर, चितकबरा । न. दूषित वह हाथ जिसकी उँगलियाँ और अंगूठा मिला |
चारित्र । वि. दूषित चारित्रवाला मुनि ।। हुआ हो और तला नीचा हो। 'सुगंधा स्त्री सबलीकरण न [शबलीकरण] सदोष करना, [°सुगन्धा] वनस्पति-विशेष ।
। चारित्र को दूषित बनाना। सप्प देखो सव = शप् ।
सब्ब (अप) देखो सव्व = सर्व । सप्पभ देखो स-प्पभ = स्व-प्रभ, सत्-प्रभ,
सब्बल पुंन [दे] शस्त्र-विशेष । स-प्रभ ।
सब्बल देखो सब्बल - स-बल । सप्परिआव , देखो स-प्परिआव = सपरि
सब्भ वि [सभ्य] सभासद । सभोचित, शिष्ट । सप्परिताव ताप।
सब्भाव देखो स-ब्भाव = सद्-भाव । सप्पि न [सर्पिस ] घृत । आसव, ग्यासव सब्भाव देखो स-ब्भाव = स्व-भाव । वि [°आस्रव] लब्धि-विशेषवाला, जिसका सम्भाविय वि [साभाविक] पारमार्थिक, वचन घी की तरह मधुर होता है ।
वास्तविक । सप्पि वि [सपिन] जानेवाला, गति करनेवाला। सभ न. देखो सभा। हाथ में लकड़ी के सहारे चल सकनेवाला सभर पुंस्त्री [शफर] मत्स्य । स्त्री. °री। रोगी-विशेष ।
सभर दे] गृध्र पक्षी। सप्पिसल्लग देखो स-प्पिसल्लग = स-पिशा- सभराइअ न [शफरायित] जिसने मत्स्य की चक।
तरह आचरण किया हो वह । सप्पी देखो सप्प - सर्प ।
सभल देखो स-भल : स-फल ।
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