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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
संवाय-संवेल्ल संवाय सक [ सं + वादय् ] खबर देना । | संविद्ध वि [संविद्ध] संयुक्त । अभ्यस्त । दृष्ट । प्रमाणित करना।
संविधा स्त्रो. संविधान, रचना । संवायय पुं [दे] नकुल । श्येन पक्षी । संविधुण सक [संवि+धू] दूर करना। परिसंवास सक [सं+वासय्] साथ में रहने देना। त्याग करना । अवगणना। मैथुन के लिए स्त्री के साथ रहना । संविभत्त वि [संविभक्त] बाँटा हुआ । संवासिय (अप) वि [समाश्वासित] जिसको संविभाअ ) [संविभाग] विभाग करना, आश्वासन दिया गया हो वह ।
संविभाग ) बाँट । आदर, सत्कार । संवाह सक [सं+वाहय] वहन करना। संविभागि वि [संविभागिन्] दूसरे को देकर , तैयारी करना । अंग-मर्दन करना ।
भोजन करनेवाला। संवाह पुं. दुर्ग-विशेष, जहाँ कृषक-लोग धान्य संविभाव सक [संवि+ भावय] पर्यालोचन
आदि को रक्षा के लिए ले जाकर रखते हैं। करना, चिन्तन करना। विवाह । गिरिशिखरस्थ ग्राम ।
संविराय अक[संवि + राज] शोभना । संवाहण न [संवाहन] अंग-मर्दन । सम्बाधन, संविल्ल देखो संवेल्ल । विनाश । पुं. एक राजा । वि. वहन करने संविह पुं सिंविध] गोशाल का एक उपासक । वाला।
संविहाण न [संविधान] रचना । संवाहणिय वि [सांवाहनिक] भार-वहन करने संवीअ वि [संवीत] व्याप्त । पहना हुआ । के काम में आता वाहन (उवा) ।
संवुअ देखो संवुड । संवाहय वि [संवाहक] चप्पी करनेवाला। संवुट्ट देखो संवृत्त । संविकिण्ण वि [संविकीर्ण] अच्छी तरह संवुड वि [संवृत] संकट, सकड़ा, अविवृत्त । व्याप्त ।
संवर-युक्त, सावध प्रवृत्ति से रहित । निरुद्ध । संविक्ख सक [संवि + ईक्ष्] सम भाव से आवृत । संगोपित । न. कषाय और इन्द्रियों देखना।
का नियन्त्रण । संविग्ग वि [संविग्न] संवेग-युक्त, भव भीरु, | संवुड्ढ वि [संवृद्ध] बढ़ा हुआ । मुक्ति का अभिलाषी, उत्तम साधु ।
संवुत्त वि [संवृत्त] संजात । बना हुआ । संविचिण्ण वि [संविचीर्ण] संविचरित,
संवुद देखो संवुड। आसेवित ।
संवुदि स्त्री [संवृति] संवरण । संविज अक [सं + विद्] विद्यमान होना ।
संवूढ वि [संव्यूढ] सज्जित । बह कर किनारे
लगा हुआ। संविट सक [सं + वेष्टय] वेष्टन करना।
संवेअ वि [संवेद्य] अनुभव-योग्य । पोषण करना।
संवेअ । पुं[संवेग] भय आदि के कारण संविढत्त वि [संमजित] उपार्जित ।
संवेग से त्वरा । भव-वैराग्य । मुमुक्षा । संविणीय वि [संविनीत] विनय-युक्त।
संवेयण न [संवेदन] ज्ञान। वि. बोधसंवित्त देखो संवीअ।
जनक । संवित्त वि [संवृत्त] संजात । वि. अच्छा संवेयण । वि [संवेजन] संवेग-जनक । आचरणवाला । बिलकूल गोल।
संवेयण [संवेगन] । संवित्ति स्त्री [संवित्ति] संवेदन, ज्ञान ।। संवेल्ल सक [ सं + वेल्ल ] चालित करना, संविद सक [सं + विद्] जानना ।
कॅपाना।
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