________________
संपरिफुड-संपिंडिअ
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
८९५
संपरिफुड वि [संपरिस्फुट] सुस्पष्ट । आदि उड़नेवाला जन्तु । गति-कर्ता ।। संपरिवुड वि [संपरिवृत] सम्यक् परिवृत, | संपाइय वि [संपातित] आगत । मिलित । परिवार-युक्त । वेष्टित ।
संपाइय वि [संपादित] साधित । संपरी अक [संपरी + इ] पर्यटन करना। संपाऊण सक [संप्र + आप्] अच्छी तरह संपल (अप) अक [ सं + पत् ] आ गिरना। प्राप्त करना । संपलग्ग वि [संप्रलग्न] संयुक्त । जो लड़ाई | संपाओ अ [संप्रातर] प्रातःकाल । हर के लिए भिड़ गया हो।
प्रभात । संपलत्त वि [संप्रलपित] उक्त, प्रतिपादित । । संपागड वि [संप्रकट] प्रकट । खुला। संपललिय वि [संप्रललित] जिसका अच्छी | संपाड सक [संपादय् ] सिद्ध करना, तरह लालन हुआ हो वह ।
| निष्पन्न करना। प्रार्थित वस्तु देना, दान संपलिअ पुं[संपलित] एक जैन महर्षि । करना । प्राप्त करना । अर्पण करना। संपलिअंक पुं[संपर्यङ्ग] पद्मासन ।। संपाडग वि [संपादक] कर्ता, निर्माता। संपलित्त वि [संप्रदीप्त] प्रज्ज्वलित ।। संपाडण न [संपादन] निष्पादन । करण, संपलिमज सक [संपरि + मृज्] प्रमार्जन | __ निर्माण । करना ।
संपातो देखो संपाओ। संपली अक [संपरि + इ] गति करना । संपाद (शौ) देखो संपाड = सं+पादय् । संपवेय । अक [संप्र + वेप्] काँपना । संपादइत्तअ (शौ) वि [ संपपादवितृ ] संपवेव ।
संपादन-कर्ता । संपादक । संपवेस पुं [संप्रवेश] प्रवेश, पैठ । संपादिअवद (शौ) देखो संपाइअव । संपव्वय अक [संप्र+व्रज्] गमन करना। संपाय पुं [संपात] सम्यक्पतन । सम्बन्ध, संपसार पुं[संप्रसार] इकट्ठा होना । विस्तार ।
संयोग । निरर्थक असत्य-भाषण । संग ।
आगमन । चलन, हिलन । संपसारग । वि [संप्रसारक] विस्तारक ।
संपाय देखो संपाओ। संपसारय । पर्यालोचनकर्ता ।
संपायग वि [संपादक सम्पादन-कर्ता । संपसिद्ध वि [संप्रसिद्ध] अत्यन्त प्रसिद्ध । संपस्स सक [सं + दृश्] अच्छी तरह देखना ।
| संपायग वि [संप्रापक] प्राप्त करनेवाला। विचार करना।
प्राप्त करानेवाला। संपहार सक [संप्र +धारय्] चिन्तन करना ।
संपायण देखो संपाडण ।
संपाल सक [सं+पालय] पालन करना। निर्णय करना। संपहार पुं [संप्रधार] निश्चय, निर्णय ।
संपाव सक [संप्र + आप्] प्राप्त करना ।
संपाव सक [संप्र+आपय] प्राप्त करवाना । संपहार पुं [संप्रहार] युद्ध ।
संपाविअ वि [संप्रापित] जो ले जाया गया । संपहाव अक [संप्र+धात्] दौड़ना। संपहिट्ट वि [संप्रहृष्ट] हर्षित, प्रमुदित ।
संपासंग वि [दे] दीर्घ, लम्बा । संपा स्त्री [दे] काँची, मेखला, करधनी।।
संपिंडण न [संपिण्डन] द्रव्यों का परस्पर संपाइअव वि [संपादितवत्] जिसने सम्पादन
संयोजन । समूह । किया हो वह ।
संपिंडिअ वि [संपिण्डित] पिण्डाकार किया संपाइम वि [संपातिम] भ्रमर, कीट, पतग | हुआ, एकत्र किया हुआ।
For Private & Personal Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org