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________________ ७७४ वेलुग न [ वेणुक] बेल का गाछ या वेलुय फल । बाँस बाँसकरिला, वनस्पति } विशेष | वेलुरिअ देखो वेरुलिअ । वेलुलिअ } संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष वेलूणा स्त्री [दे] लज्जा । वेल्ल अक [वेल्ल्] काँपना । लेटना । सक. कंपाना । प्रेरना । वेल्ल अक [रम् ] क्रीड़ा करना । वेल्ल पुं [दे] केश । पल्लव | विलास । कामपड़ा | वि. मूर्ख | न. देखो वेल्लग | वेल्लग न [दे] ऊपर से ढकी हुई एक तरह की गाड़ी । गाड़ी के ऊपर का तला । वेल्लण न [ वेल्लन] प्रेरणा । वेल्लय देखो वेल्लग | वेल्लरिअ पुं [दे] केश, बाल । वेल्लरिआ स्त्री [दे] वल्लो, लता । वेल्लरी स्त्री [ दे] वेश्या, वारांगना । वेल्लविr देखो वेल्लिअ वेल्लविवि [दे ] विलिए, पोता हुआ । वल्लो I वेल्लहल वि [दे] कोमल । विलासी । वेल्लहल्ल सुन्दर । वेल्ला स्त्री [दे. वल्ली ] लता, वेल्लालअ वि [दे] संकुचित | वेल्लि देखो वल्लि । वेल्लिअ वि [ वेल्लित ] प्रेरित । कँपाया हुआ । वेल्ली देखो वेल्लि । aar [a] काँपना । वज्झन [ वैवाह्य ] शादी | daण्णन [वैवर्ण्य ] फीकापन | वेव पुंन [वेक] रोग-विशेष, कम्प । वेवाइअ वि [दे] उल्लास-प्राप्त | वाहिवि [वैवाहिक ] सम्बन्धी, विवाह सम्बन्धवाला । वेविअवि [ वेपित ] कम्पित । पुं. एक नरक Jain Education International वेलुग- वेस वाडिय स्थान | वेव्व अ [ दे] आमन्त्रण सूचक अव्यय । वेव्व अ [दे] इन अर्थों का सूचक अव्यय - Pag भय । वारण, रुकावट । विषाद । आमन्त्रण । वेस पुं [वेष ] शरीर पर वस्त्र आदि की सजा वट । वेस वि [ व्येष्य ] विशेष रूप से वांछनीय | वेस पुं [वेष ] विरोध, वैर, घृणा । defa [ac] वेषोचित । वेस व [द्वेष्य ] अप्रीतिकर । विरोधी । वेस देखो वइस्स = वैश्य । वेसंपायण देखो वइसंपारण । des वि [वैषयिक ] विषय से सम्बन्धी । diभ पुं [विश्रम्भ] विश्वास | वेसंभरा स्त्री [] छिपकली । वेसक्खिज्जन [दे] द्वेष्यत्व, विरोध, दुश्मनाई । वेसण न [ दे] वचनीय, लोकापवाद । वेसण न [वेषण ] जीरा आदि मसाला । वेसण न [वेसन] चना आदि का आटा । समण पुं [वैश्रमण ] यक्षराज, कुबेर । इन्द्र का उत्तर दिशा का लोकपाल | एक विद्याधरनरेश । एक राजकुमार । एक सेट । अहोरात्र का चौदहवाँ मुहूर्त | एक देव-विमान । क्षुद्र हिमवान् आदि पर्वतों के शिखरों का नाम । 'काइय पुं [ " कायिक] वैश्रमण की आज्ञा में रहनेवाली एक देव-जाति । "दत्त पुं. एक राजा । देवकाइय पुं [ देवकायिक ] वैश्रमण के अधीनस्थ एक देव-जाति । पभ पुं [भ] श्रमण का उत्पात पर्वत । भद्द पु [ "भद्र ] एक जैन मुनि । वेसम्म न [वैषम्य ] विषमता, असमानता । वेसर पुंस्त्री पक्षि-विशेष । अश्वतर, खच्चर । वेसलग पु [वृषल ] शूद्र, अधम- जातीय मनुष्य । वेसवण पुं [वैश्रवण] देखो वेसमण | वेसवाडिय पुं [वेशवाटिक] एक जैन मुनि - गण | For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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