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वीरल्ल - बुंद
वीरल्ल पुं. श्येन पक्षी । वीरिअ पुं [वीर्य ] भ० पार्श्वनाथ का एक मुनि संघ । भ० पार्श्वनाथ का एक गणधर । पुंन. शक्ति | आत्म-बल । पराक्रम । एक देव | विमान । शरीर स्थित एक धातु । तेज । वीरुणी स्त्री. पर्व - वनस्पति- विशेष ।
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
वीरुत्तर वडिसग पुंन [वीरोत्तरावतंसक ] एक देव - विमान |
areer स्त्री [वीरुधा] विस्तृत लता । वीलण वि [दे] पिच्छिल, स्निग्ध । वीलय देखो बीलय |
वीली स्त्री [दे] तरंग । वीथी, श्रेणी । वीवाह देखो विवाह = विवाह ।
वाहि वि [वैवाहिक ] विवाह-सम्बन्धी | वीवी स्त्री [दे] तरंग |
वीस देखो विस्स = विस्र | वीस देखो विस्स = विश्व | उरी स्त्री [°पुरी] नगरी-विशेष | °सअ वि [°सृज्] जगत्कर्ता । °सेण पुं[°सेन] चक्रवर्ती राजा । पुं. अहोरात्र का १८ वाँ मुहूर्त ।
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| वीस रणालु वि [ विस्मर्तृ] भूल जानेवाला । वीसव (अप) सक [ वि + श्रमय् ] विश्राम
करवाना |
वीसस देखो विस्सस ।
वीसा [विस्रसा] स्वभाव, प्रकृति । वीससिय वि [वैत्रसिक] स्वाभाविक | वीमा देखो वीसइ ।
वीसा स्त्री [विश्वा ] पृथिवी, धरती । वीसाण पुं [ विष्वाण ] आहार, भोजन ।
वीस स्त्री [विंशति ] बीस । 'म वि. वीसइ बीसवाँ । न. नव दिनों का उपवास | 'हा अ ["धा] बीस प्रकार से | वीसंत वि [विश्रान्त ] विश्राम प्राप्त ।
वीसंदण न [विस्यन्दन] दही की तर और आटे से बनता एक प्रकार का खाद्य ।
वीसंभ देखो विस्संभ | वीसज्ज देखो वीसज्ज = विसज्ज । ater fa [विश्वस्त ] विश्वास-युक्त । वीसद्ध [विश्रब्ध] विश्वास-युक्त । वीसम देखो विस्सम = वि + श्रम् । वीसम देखो विस्सम = विश्रम | वीसम देखो वीस-म | वीसर देखो विस्सर = वि + स्मृ । वीसर देखो विस्सर = विस्वर ।
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वीसाम पुं [ विश्राम ] विराम | चालू क्रिया
का अंत |
वीसाय देखी विसाय = वि + स्वादय् । वीसार देखो विस्सार = वि + स्मृ । वीसाल सक [मिश्रय् ] मिलाना । वीसावँ (अप) देखो वीसाम । वीसास देखो विस्सास । वीसिया स्त्री. [विशिका ] बीस संख्यावाला । वीसु न [ दे] युतक, पृथग् । वीसुं अ [विष्वक् ] सब ओर से । समस्तपन । वीसंभ देखो वीसंभ = वि + श्रम्भ् । वसुंभ अ [] पृथग होना । Maa art |
देखो विसेदि ।
वीसेढ वीण
वीहि पुंन [हि ] धान्य- विशेष | वीहि स्त्री [ वीथिका, थी ] मार्ग | वीहिया श्रेणी । क्षेत्र भाग । बाजार । वोही
वुअ
अवि [] बुना हुआ । बुनवाया हुआ । वि [वृत] प्रार्थित । प्रार्थना आदि नियुक्त | वेष्ट |
वुइय
वुइय वि [ उक्त ] कथित ।
वुंज (?) सक [ उद् + नमय् ] ऊँचा करना । jarat स्त्री [वृन्ता] बैंगन का गाछ । वृंद देखो वंद = वृन्द ।
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