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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष विजयंता-विज्जा आचार्य । °वंत वि [°वत्] विजयी । वित्त विजोज सक [वि+योजय ] वियोग करना, न [वर्त] चैत्य-विशेष । °वद्धमाण पुन | अलग करना । [°वर्धमान] ग्राम-विशेष । °वेजयंती स्त्री विजोयावइत्त वि [वियोजयितु] वियोजक । [ वैजयन्ती] विजय-मचक पताका । °सायर | विजोहा स्त्री [विज्जोहा] छन्द-विशेष । पुं[सागर] एक सूर्यवंशी राजा। °सिंह, | विज अक [विद्] होना । सीह पुं. सुप्रसिद्ध जैनाचार्य । एक विद्याधर | विज सक [वीजय ] पंखा चलाना। राजकुमार । °सूरि पुं. चन्द्रगुप्त के समय का | विज्ज पंवेद्य चिकित्सक, हकीम । एक जैन आचार्य । सेण पुं [ सेन] जैन | विज पं. ब. [दे] देश-विशेष ।
आचार्य जो आम्रदेव सूरि के शिष्य थे। विज पुं [विद्वस् , विज्ञ] पण्डित, जानकार । विजयंता। स्त्री वैजयन्ती] पक्ष की आठवीं | विज देखो वीरिअ। . विजयंती) रात । एक रानी।
| विज्ज° देखो विजा। ज्झर (अप) देखो विजया स्त्री. भ .ान्तिनाथ की दीक्षा- | विजा-हर । °त्थि वि [°ाथिन्] अभ्यासी । शिविका । भ. अजितनाथजी को माता का | विज्ज° देखो विज्जु । नाम । पाँचवें बलदेव की माता । अंगारक | °विज्ज देखो पिज्ज । आदि ग्रहों की एक पट रानी । विद्या विशेष । | विज्जय न (वैद्यक] चिकित्सा । पूर्व-रुचक पर रहनेवाली एक दिक्कुमारी | विज्जल [विजल] एक नरक-स्थान । वि. देवी । पांचवें चक्रवर्ती राजा को पटरानी- जलरहित । स्त्री-रत्न । विजय नामक देव की राजधानी । | विज्जल । न [दे. विजल] पंक, काँदो। वप्रा नामक विजय की राजधानी। पक्ष की | विज्जल ) सातवीं रात । एक श्रेष्ठिनी । भ. विमलनाथ- | विज्जलिया स्त्री [विद्यत् बिजली । जी की शासन-देवी। भ सुमतिनाथजी की।
विज्जा स्त्री विद्या] शास्त्र-ज्ञान | सम्यग् दीक्षा-शिविका । एक पुष्करिणी ।
ज्ञान । मन्त्र । साधनावाला मंत्र । अणुप्पवाय विजल वि. जल-रहित : न. जल-रहित पंक । |
न [°अनुप्रवाद] जैन अंग ग्रन्थ । दसवाँ देखो विज्जल।
पूर्व । °चारण पुं. शक्ति-विशेष-संपन्न मुनि । विजह सक [वि+हा) परित्याग करना ।
°चारणलद्धि स्त्री [चारणलब्धि] शक्तिविजाइय बि [विजातीय] भिन्न जाति का ।
विशेष । °णुप्पवाय देखो °अणुप्पवाय । विजाण देखो विआण = वि + ज्ञा ।
°णुवाय न [°नुवाद] दसा पूर्व । °पिंड j विजाणग, वि [विज्ञायक] जाननेवाला,
[पिण्ड] विद्या के बल से अजित भिक्षा । विजाणय विज्ञ । [विज्ञ, विज्ञायक] ऊपर
°मंत वि [°वत्] विद्या सम्पन्न । °लय पुन. विजाणुअ देखो।
पाठशाला। °सिद्ध वि. सभी विद्याओं से विजादीअ (शौ) देखो विजाइय ।
सम्पन्न । जिसको कम से कम एक महाविद्या विजाय न [२] लक्ष्य, निशाना ।
सिद्ध हो वह । हर पुं [धर] क्षत्रियों का विजिअ वि [विजित] पराभूत ।
एक वंश । पुंस्त्री. उस वंश में उत्पन्न । स्त्री. विजुत्त वि [वियुक्त] वि हित ।
°री। वि. शक्ति-विशेष-सम्पन्न । 'हरविजुरि (अप) स्त्री [विद्युत्] बिजली । गोवाल पुं [धरगोपाल] सुस्थित और विजे? वि [विज्येष्ठ] मध्यम ।
सुप्रतिबुद्ध आचार्य के शिष्य । °हरी स्त्री
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