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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
अपुणबंधग-अप्पकेर
अपूणबंधग , वि [अपूनर्बन्धक] फिर से । अपेहय वि [अपेक्षक] अपेक्षा करने वाला। अपुणबंधय । उत्कृष्ट कर्मबन्ध नहीं करने अपोरिसिय । वि [अपौरुषिक] पुरुष से
वाला, तीव्र भाव से पाप को नहीं करनेवाला। अपोरिसीय | ज्यादा परिमाणवाला, अगाध। अपूणब्भव [अपुनर्भव] फिर से नहीं अपोरिसोय वि [अपौरुषेय] पुरुष से नहीं होना । वि. मुक्ति-प्रद ।
बनाया हुआ, नित्य । अपुणब्भाव वि [अपुनर्भाव] फिर से नहीं अपोह सक [अप + ऊह.] निश्चय करना, होनेवाला।
निश्चय रूप से जानना। अपुणभव देखो अपुणब्भव ।
अपोह पु [अपोह] निश्चय-ज्ञान । भिन्नता । अपुणरागम पु [अपुनरागम] मुक्त आत्मा । अप्प देखो अत्त = आप्त । मोक्ष ।
अप्प वि [अल्प] थोड़ा। अभाव । अपुणरावत्तग) पु अपुनरावर्तक] अप्प पु [आत्मन्] आत्मा, जीव, चेतन । अपुणरावत्तय f फिर नहीं घूमने वाला, मुक्त। निज, शरीर । स्वभाव, स्वरूप । °धाइ वि आत्मा । मुक्ति ।
[ धातिन्] आत्महत्या करनेवाला। छंद अपुणरावत्ति पुं[अपुनरावर्तिन] मुक्तआत्मा।। वि [°च्छन्द] स्वच्छन्दी । °ज वि [ज्ञ] अपुणरावित्ति पुं [अपुनरावृत्ति] मोक्ष । आत्मज्ञ । स्वाधीन । जोइ पु[ज्योतिस] अपुणरुत्त वि [अपुनरुक्त] फिर से अकथित, | ज्ञानस्वरूप । °णु वि [°ज्ञ] आत्म-ज्ञानी । पुनरुक्ति-दोष से रहित ।
°वस वि [वश] स्वतन्त्र । °वह पु [°वध] अपुणागम देखो अपुणरागग ।
आत्म-हत्या, अपघात । °वाइ वि [°वादिन] अपुणागमण न [अपुनरागमन] फिर से नहीं आत्मा के अतिरिक्त दूसरे पदार्थ को नहीं आना । फिर से अनुत्पत्ति ।
माननेवाला। अपुण्ण वि [दे] आक्रान्त ।
अप्प [दे] पिता। अपुत्त । वि [अपुत्र] पुत्र-रहित । स्वजन- अप्प सक [अपंय्] अर्पण करना । अपुत्तिय , रहित, निर्मम, निःस्पृह । अप्पआस देखो अप्पगास । अपुम न [अपुंस्] नपुंसक।
अप्पआस सक [श्लिष् ] आलिङ्गन करना । अपुल्ल देखो अप्पुल्ल ।
अप्पआसइ (षड्)। अपूव्व वि [अपूर्व] नवीन । अद्भत । असाधा- अप्पइट्ठाण पुन [अप्रतिष्ठान] मुक्ति । सातवीं रण । करण न आत्मा का एक अभूतपूर्व । नरक भूमि का बिचला आवास ।
शुभ परिणाम । आठवाँ गुणस्थानक । अप्पइदिअ वि [अप्रतिष्ठित] अप्रतिबद्ध । अपूय । पु[अपूप] एक भक्ष्य पदार्थ, पूजा, अशरीरी । देखो अपइट्टिअ । अपूव ) पूड़ी।
अप्पउलिय वि [अपक्वौषधि] नहीं पकी हुई अपेक्ख सक [अप + इक्ष] अपेक्षा करना, राह: फल-फलहरी । देखना।
अप्पओजग वि [अप्रयोजक] अ-गमक, अअपेच्छ वि [अप्रेक्ष्य] देखने के अशक्य । निश्चायक । देखने के अयोग्य ।
| अप्पंभरि वि [आत्मम्भरि स्वार्थी । अपेय वि पीने के अयोग्य, मद्य आदि ।
अप्पकंप वि [अप्रकम्प] स्थिर । अपेय वि [अपेत] गया हुआ, नष्ट ।
अप्पर वि [आत्मीय] निजी ।
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