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७२४ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
वारुअ-वावड वारुअ न [दे] शीघ्र । वि. शीघ्रता-युक्त । पर्व के देह-मानवाले थे । देखो वालिखिल्ल । वारुण न. जल । वि. वरुण-सम्बन्धी । 'त्थ न | वाला पुंस्त्री कंगू, अन्न-विशेष । [स्त्र] वरुणाधिष्ठित अस्त्र । °पुर न. वालि पुं. एक विद्याधर-राजा, कपिराज । नगर-विशेष ।
°तणअ पुं [तनय] । 'सुअ ' [°सुत] वारुणी स्त्री. मदिरा । लता-विशेष, इन्द्र- राजा वालि का पुत्र, अंगद । वारुणी। पश्चिम दिशा। सुविधिनाथ की | वालि वि [वालिन्] वक्र ।। प्रथम शिष्या। एक दिक्कुमारी देवी । कायो- वालि वि [वालिन्] केशवाला । पुं. कपिराज । त्सर्ग का एक दोष-निष्पन्न होती मदिरा | वालिआफोस न दे] सुवर्ण। की तरह कायोत्सर्ग में 'बुड-बुड' आवाज वालिंद पुं [वालीन्द्र] एक विद्याधर राजा। करना। कायोत्सर्ग में मतवाला की तरह वालिखिल्ल पुं [वालिखिल्य] एक राजर्षि । डोलते रहना।
देखो वालिहिल्ल। वारुया । स्त्री [दे] हस्तिनी ।
वालिहाण न [वालधान] पुच्छ । वाख्या
वालिहिल्ल देखो वालहिल्ल। वारेज्ज देखो वारिज्ज।
वाली स्त्री [दे] मुंह से बजाया जाता तृणबाल सक [वालय् ] मोड़ना। वापस | वाद्य । लौटाना ।
°वालो स्त्री [पाली] गाल आदि पर की जाती वाल पुं [व्याल] दुष्ट । सर्प । दुष्ट हाथी । कस्तूरी आदि की छटा । देखो पाली। हिंसक पशु । देखो विआल = व्याल ।
वालुअ पुं [वालुक] परमाधार्मिक देवों की वाल न. कश्यप-गोत्र की एक शाखा । पुंस्त्री.] एक जाति, जो नरक-जीवों को तप्त वालुका उस गोत्र में उत्पन्न ।
में चने की तरह भनते हैं । धूलि-सम्बन्धी । वाल देखो बाल = बाल । °य वि [°ज] | वालुअ° । स्त्री [वालुका] धूलि, रेत, रज । केशों से बना हुआ। °वीयणी स्त्री वालुआ , पुढवी स्त्री [पृथिवी ]। [वीजनी] चामर । °हि पुं [°धि] छोटा ___°प्पभा, °प्पहा स्त्री [°प्रभा] । °भा स्त्री. पंखा।
तीसरी नरक-भूमि। °वाल देखो पाल = पाल ।
वालुंक न [दे] एक तरह का पक्वान्न । वालंफोस न [दे] सोना।
वालुंक न [वालुङ्क] ककड़ी, खीरा । वालग न [वालक] गौ आदि के बालों का | वालंकी । स्त्री [वालुङ्गी] ककड़ी का गाछ । बना हुआ पात्र-विशेष।
वालुक्की वालगपोतिया) स्त्री [दे] देखो बालग्ग- वालुग देखो वालुअ° । वालग्गपोइया । पोइआ।
वाव सक [वि+आप् ] व्याप्त करना । वालप्प न [दे] पुच्छ ।
वाव अ. अथवा । वालय पुं[वालक] गन्ध-द्रव्य-विशेष ।
वाव पुं [वाप] बोना। वालवास पुं[दे] मस्तक का आभूषण । वावइज्ज देखो वावज्ज। वालवि पुं[व्यालपिन्] मदारी । सपेरा। वावंफ अक [कृ] श्रम करना। वालहिल्ल पुं [वालखिल्य] ऋतु से उत्पन्न | वावज्ज अक [व्या + पद्] मर जाना। पुलस्त्य कन्या के साठ हजार पुत्र, जो अंगुष्ठ- | वावड पुं[दे] कुटुम्बी, किसान ।
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