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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
नियमित ।
वायग पुं [वाचक ] अभिषायक । उपाध्याय । पूर्व-ग्रन्थों का जानकार मुनि । तत्त्वार्थसूत्र का कर्ता श्री उमास्वातिजी । वि. कथक । पढ़ानेवाला |
इच्छा । खाना ।
वाय वि [ व्याद] विशेष ग्रहण करनेवाला । वाय वि [वाच्] वक्ता ।
वाय पुं [वात] पवन । उत्कर्ष । पुंन. एक देवविमान | कंत पुंन [कान्त ] एक देवविमान | कम्म न [कर्मन्] अपान वायु का सरना । 'कूड पुंन [कूट ] एक देव - विमान | खंध [स्कन्ध] घनवात आदि वायु । झय पुंन [ ध्वज ] एक देव-विमान । ●णिसग्ग पुं [ निसर्ग ] अपान वायु का सरना । 'पलिक्खोभ पुं ['परिक्षोभ ] कृष्णराजि । प्भ पुंन [° प्रभ] देव-विमान विशेष | 'फलिह पुं [° परिघ] कृष्णराज । रुह पुं. वनस्पति - विशेष । लेस्स पुंन [लेश्य ] | वण्ण पुंन [वर्ण] । °सिंग पुंन [शृङ्ग ] | °सिट्ठपुंन ['सृष्ट]। [] सभी देव विमान ।
वत्त
'वाय पुं [पाद] पर्यन्त । पर्वत । पूजा । मूल । किरण । पैर । चौथा भाग । देखो
पाय = पाद ।
'वाय देखो पाव = पाप ।
'वाय पुं [पाय ] रक्षा | वि. पीनेवाला । 'वाय देखो अवाय = अपाय ।
वाय पुं [वाद] शास्त्रार्थं । उक्ति । नाम । बजाना । स्थैर्यं । 'त्थ पुं [T] तत्त्व- चर्चा | °त्थि वि [र्थिन् ] शास्त्रार्थं की चाहवाला । 'वाय पुं [पाक] रसोई । बालक । दैत्य | देखों पाग ।
'वाय पुं [पात] पतन । गमन । उत्पतन । पक्षी । न पक्षि- समूह |
वायव वि. वातरोगी ।
'वाय वि [पातृ] रक्षा करनेवाला । पीनेवाला, वायव देखो पायव |
सूखनेवाला ।
'वाय देखो 'बाय ।
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वायगवि [वादक ] बजानेवाला । वायग पुं [वायक] तन्तुवाय, जुलाहा । वायगवंस पुं [ वाचकवंश ] एक जैन मुनि - वंश ।
वाय-वायाड
वायड पुं [दे] एक श्रेष्ठि-वंश । वायड वि [ व्याकृत] स्पष्ट, उक्त वायडघड पुं [दे] दर्दुर नामक बाजा । वायडाग पुं [दे] सर्प की एक जाति । वायण न [वाचन] देखो वायणा । वायण न [ वादन] बजाना | बजानेवाला । वायण न [ दे] खाद्य पदार्थ का बांटा जाता उपहार |
वायणया स्त्री [ वाचना ] पठन, गुरु के } वायणा समीप अध्ययन । अध्यापन । व्याख्यान | सूत्र पाठ । वायणिअ वि [वाचनिक] वचन- सम्बन्धी । वायय देखो वायग = वायक । वायरण देखो वागरण |
वायव्व वि [ वायव्य ] वायव्य कोण का । वायव्व पुं [ वायव्य ] वायुदेवता - सम्बन्धी । न. गौ के खुर से उड़ी हुई धूलि । वायव्वा स्त्री [वायव्या] वायव्य कोण । वायस पुं. काक । कायोत्सर्ग में कौए की तरह दृष्टि को इधर-उधर घुमाना । 'परिमंडल न [परिमण्डल ] कौए के स्वर और स्थान आदि से शुभाशुभ फल बतलानेवाली विद्या । वाया स्त्री [वाच्] वाचन, वाणी । सरस्वती । व्याकरणशास्त्र । देखो वइ = वाच् ।
वाय उत्त पुं [दे] विट, भँडुआ । जार । वायंगण न [दे] बैंगन ।
वायंतिय वि [ वागन्तिक ] वचन- मात्र में वायाड पुं [दे. वाचाट] शुक ।
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