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वरसि - वलअंगी
वरसि देखो वरिसि । वरहाड अक [ निर् + सृ] बाहर निकलना । वराग देखो वराय ।
वराड पुं [वराट] दक्षिण का 'बरार' देश । कपर्दक | न. कौड़ियों का जूआ जिसे बालक खेलते हैं । वराडिया स्त्री [वराटिका ] कपर्दका । वराय देखो वरय = वराक । स्त्री. 'राइआ, 'राई ।
वरावड पुं. ब. [वरावट ] देश-विशेष | वराह पुं. शूकर । भगवान् सुविधिनाथ का प्रथम शिष्य ।
वराही स्त्री. विद्या-विशेष ।
वरि अ [वरम् ] अच्छा, ठीक । वरिअ देखो वज्ज = वर्य । वरिअवि [वृत] स्वीकृत । सेवित । जिसकी सगाई की गई हो । न. सगाई करना । वरिपुं [वरिष्ठ ] भरत क्षेत्र का भावी बारहवाँ चक्रवर्ती राजा । अति श्रेष्ठ । वरिल्ल न [ दे] वस्त्र - विशेष । वरिस सक [वृष्] बरसना, वृष्टि करना । वरिस पुंन [ वर्ष] वृष्टि, संवत्सर । जंबूद्वीप का अंश - विशेष, भारत आदि क्षेत्र । मेघ । 'अ वि [°ज] वर्षा में उत्पन्न | °कण्ह न ['कृष्ण] एक गोत्र । पुंस्त्री. उस गोत्र में उत्पन्न । 'धर पुं. अन्तःपुर-रक्षक षण्ड - विशेष पुं. वही अनन्तरोक्त अर्थ । देखो वास = वर्ष । रिसविअवि [वर्षित] बरसाया हुआ । वरिसा स्त्री [वर्षा] वृष्टि, वर्षा काल । काल पुं।°रत्त पुं [°रात्र] वर्षा ऋतु । 'ल देखो 'काल | देखो वासा | वरिसिणी स्त्री [ वर्षिणी ] विद्या - विशेष । वरिसोलक पुं [दे वर्षोलक] पक्वान्न विशेष । 'वरिहरिअ देखो परिहरिअ ।
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वर
[] देखो बरु |
वरु
वरुअ
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
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वट पुं [ वरुण्ट] एक शिल्पि जाति । वरुड पुं. एक अन्त्यज-जाति ।
वरुण पुं. चमर आदि इन्द्रों का पश्चिम दिशा का लोकपाल । बलि आदि इन्द्रों का उत्तर दिशा का लोकपाल । लोकान्तिक देवों की एक जाति । भगवान् मुनिसुव्रत का शासनाधिष्ठायक यक्ष । शतभिषक नक्षत्र का अधिष्ठाता देव । एक देव विमान । वृक्ष की एक जाति । अहोरात्र का पनरहवाँ मुहूर्त | एक विद्याधरनरपति । एक श्रेष्ठि पुत्र । छन्दविशेष | वरुणवर द्वीप का एक अधिष्ठाता देव । पुं.ब. एक आर्य- देश |काइय पुं[ कायिक ] | 'देवकाइ पुं [देवकायिक] वरुण लोकपाल के भृत्य - स्थानीय देवों की एक जाति ।
भ पुं [भ] वरुणवर द्वीप का एक अधिष्ठायक देव | वरुण लोकपाल का उत्पात पर्वत । पभा स्त्री ['प्रभा] वरुणप्रभ पर्वत की दक्षिण दिशा में स्थित वरुण लोकपाल की एक राजधानी । 'वर पुं. एक द्वीप । वरुणा स्त्री. अच्छ देश की प्राचीन राजधानी । वरुणप्रभ पर्वत की पूर्व दिशा में स्थित वरुण नामक लोकपाल की एक राजधानी । एक राजपत्नी ।
वरुणी स्त्री. विद्या - विशेष ।
वरुणोअ
वरुणोद
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वरुल पुं. ब. देश-विशेष | वरूहिणी स्त्री [वरूथिनी] सेना | वरेइत्थ न [दे] फल ।
पुं [वरुणोद] एक समुद्र ।
वल अक [ वल्] लौटना | मुड़ना । उत्पन्न होना । सक. ढकना । जाना | साधना । वल सक [आ + रोपय् ] ऊपर चढ़ाना । वल सक [ग्रह ] ग्रहण करना ।
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वल पुं. रस्सी आदि को मजबूत करने के लिए दिया जाता बल ।
वलअंगी स्त्री [] वृतिवाली, बाड़वाली ।
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