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६९६ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
लोअण-लोभ लोअण पुन [लोचन] आँख । °वत्त न [°पत्र] | लोगंतिय देखो लोअंतिय । अक्षि लोम।
लोगिग देखो लोइअ = लौकिक । लोअणिल्ल वि [लोचनवत् आँखवाला । लोगुत्तर देखो लोउत्तर। वडिसय न लोआणी स्त्री [दे] वनस्पति-विशेष । [वतंसक] एक देव-विमान ।। लोइअ वि [लोकित] निरीक्षित, दृष्ट । लोगुत्तर पुं [लोकोत्तर] मुनि । जिन-शासन, लोइअ वि [लौकिक लोक-सम्बन्धी। जैन-सिद्धान्त । लोउत्तर वि [लोकोत्तर] लोक-प्रधान । लोगुत्तरिअ वि [लोकोत्तरिक] साधु का । लोउत्तरिय देखो लोगत्तर । वि [लोको- | जिन शासन का।। त्तरिक] ।
लोगुत्तरिय देखो लोउत्तरिय । लोक वि [दे] सुप्त ।
लोट अक [स्वप] लोटना, सोना । लोग पुं लोक] मान-विशेष, श्रेणी से गुणित
लोट्ट अक [लुठ्] लेटना । प्रवृत्त होना । प्रतर । यत देखो गयय ।
लोट्ट । पुं [दे] कच्चा चावल । पुंस्त्री. लोग देखो लोअ = लोक । न. एक
लोट्य ) हाथी का छोटा बच्चा । स्त्री.
देवविमान। °कत न [°कान्त] एक देव
___°ट्टिया । विमान । कूड न [°कूट] एक देव-विमान ।
लोट्टिअ वि [दे] उपविष्ट । ग्गचूलिआ स्त्री [°ग्रचूलिका] सिद्धि
लोट्ट वि [दे] स्मृत । शिला । °जत्ता स्त्री [ यात्रा] लोक-व्यव
लोट पुं [लोष्ट] रोड़ा, ढेला । हार, रोजी। °ट्रिइ स्त्री [ स्थिति] लोक
लोडाविअ वि [लोटित] घुमाया हुआ। व्यवस्था । दव्व न[°द्रव्य जीव, अजीव आदि
लोढ सक [दे] कपास निकालना । पदार्थ-समूह । 'नाभि पुं. मेरु पर्वत । 'नाह
लोढ पुंदे] लोढ़ा, शिलापुत्रक, पीसने का पुं [नाथ] परमेश्वर । परिपूरणा स्त्री.
पत्थर । औषधि-विशेष, पद्मिनीकन्द । वि. ईषत्प्राग्भारा पृथिवी । °पाल पुं. इन्द्रों के |
| स्मृत । शयित । दिक्पाल । °प्पभ पुं [प्रभ] एक देव- लोढय पुं [दे. लोठक] कपास के बीज निकाविमान । बिंदुसार पुन [बिन्दुसार] चौदहवाँ | लने का यन्त्र । पूर्व-ग्रन्थ । °मज्झावसिअ पुंन [मध्याव
सिपंन मध्याव- | लोढिअ वि [लोठित] सुलाया हुआ। सित] । मज्जावसाणिअ पुन [°मध्या- लोण्ण न [लवण] नमक । लावण्य । पुं. वृक्षवसानिक] अभिनय-विशेष । रूव न
विशेष । देखो लवण। [ रूप]। लेस न [°लेश्य ] || लोणिय वि [लावणिक] लवण-युक्त, लवण°वण्ण न [°वर्ण ] देव-विमान-विशेष । __ सम्बन्धी। °वाल देखो पाल। °वीर पुं. भगवान् लोण्ण न लावण्य] शरीर-कान्ति । महावीर । °सिंग न [शृङ्ग] । °सिटु न | लोत्त न [लोप्त्र] चोरी का माल । [सृष्ट] । हिअ न [हित] देव-विमान- | लोद्ध पुं[लोध्र] वृक्ष-विशेष । देखो लुद्ध = विशेष । 'यय न [°ायत] चार्वाक दर्शन ।। लोध्र ।
लोग पुन [°लोक] परिपूर्ण आकाश-क्षेत्र, लोद्ध देखो लुद्ध = लुब्ध । सम्पूर्ण जगत् । वत्त न [वत] एक देव- लोप्प देखो लंप । विमान । पहाण न [ख्यान] लोकोक्ति । । लोभ सक [लोभय] लालच देना।
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