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६७६ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
रयणप्पभिय-रस विलि, °ावली स्त्री. रत्नों का हार । तप. [°पात्र]चाँदी का बरतन ITमय वि [°मय] विशेष । ग्रन्थ-विशेष । एक विद्याधर-राज- चांदी का बना हुआ । कन्या। "वह न. नगर-विशेष । सव पुं। रयय पुं [रजक] धोबी। [स्रव रावण का पिता । "सवराअ पुं रयवली स्त्री [दे] बाल्य । [स्रवसुत] रावण । °हिय वि [°ाधिक] रयवाडी देखो राय-वाडिआ। ज्येष्ठ ।
रयाव सक [रचय्] बनवाना । रयणप्पभिय वि [रात्नप्रभिक] रत्नप्रभा- रल्ला स्त्री [दे] प्रियंगु, मालकांगनी । सम्बन्धी।
। रल्लि पुंस्त्री [दे] लम्बा मधुर शब्द । रयणा स्त्री [रचना निर्माण, कृति । रव सक [रु] कहना, बोलना। वध करना । रयणा स्त्री [रत्ना] रत्नप्रभा नरक-भूमि । गति करना । अक रोना । शब्द करना। रयणि पुंस्त्री [रत्नि] एक हाथ का नाप, रव सक [रावय्] बुलवाना। बद्धमुष्टि हाथ का परिमाण ।
रव सक [दे] आद्र करना । रयणि स्त्री [रजनि देखो रयणी = रजनी। रव पुं. शब्द, आवाज । वि. मधुर शब्दवाला । "अर पु[°चर] राक्षस । °अर, कर पुं. रव (अप) देखो रय = रजस् । चन्द्रमा। °णाह [°नाथ]चन्द्रमा । भत्त न रवण } (अप) देखो रमण । [' भक्त] रात्रि में खाना । रमण पुं. । वल्लह । रवण , पुं [°वल्लभ] चन्द्रमा । "विराम पं. सूबह । रवण्ण (अप) देखो रम्म = रम्य । रयणिंद पुं रजनीन्द्र] चन्द्रमा ।
रवय पुं [दे] मन्थान-दण्ड । रयणिद्धय न [दे] कुमुद, कमल ।
रवरव अक [रोख्य] खूब आवाज करना । रयणी स्त्री [रत्नी] देखो रयणि = रत्नि। बारंबार आवाज करना । रयणी स्त्री [रजनी] रात्रि। ईशानेन्द्र के रवि वि रविन आवाज करनेवाला । लोकपाल की पटरानी। चमरेन्द्र की अग्र- रवि न. सूर्य । राक्षस-वंश का एक राजा । आक महिषी । मध्यम ग्राम या षड्ज ग्राम की एक का पेड़ । "तेअ पं [तेजस] इक्ष्वाक-वंश का मूर्च्छना। भोअण न [°भोजन] रात में । राज
राजा । राक्षस वंश का एक लंकेश । तेयास्त्री खाना । °सार न. मैथुन । देखो रयणि = [°तेजा एक विद्या । °नंदण पुं [°नन्दन] रजनि ।
शनि-ग्रह । °प्पभ पुं [प्रभ] वानरद्वीप का रयणी स्त्री [रजनी] औषधि-विशेष-पिंडदारु ।।
राजा । भत्ता स्त्री [°भक्ता] एक महौषधि । हलदी।
"भास पुं. सूर्यहास खड्ग-विशेष । °वार पुं. रयणच्यय । पुं [रत्नोच्चय] मेरु-पर्वत ।। रविवार । "सुअ पुं [°सुत शनिश्चर ग्रह । रयणोच्चय । कूट-विशेष ।
रामचन्द्र का सेनापति सुग्रीव । °हास पुं. रयणोच्चया स्त्री [रत्नोच्चया] वसुगुप्ता सूर्यहास खड्ग ।
नामक इन्द्राणी की एक राजधानी। रविगय न [रविगत] जिस पर सूर्य हो वह रयत न [रजत] चाँदी । एक देव-विमान। नक्षत्र । रयद हाथी का दाँत । हार । सुवर्ण । खून। रव्वारिअ पुं [दे] दूत, सन्देश-हारक । रयय) पर्वत । धवल वर्ण । शिखर विशेष। रस सक [रस्] चिल्लाना, आवाज करना । वि. श्वेत । °गिरि पुं. पर्वत-विशेष । °वत्त न रस पुंन. जिह्वा का विषय । प्रकृति । साहित्य
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