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________________ रंगिल्ल-रज्जु रंगिल्ल वि [रङ्गवत्] रंगवाला । रंज सक [रञ्जय्] रँग लगाना । खुशी करना । रागयुक्त करना । रंजग वि [रञ्जक] रञ्जन करनेवाला । रंजण न [रञ्जन] रँगना । खुशी करना । पुं. छन्द - विशेष | वि. खुशी करनेवाला, राग संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष जनक । रंजण पुं [दे] घड़ा | कुण्डा, पात्र विशेष । रंडा स्त्री [रण्डा ] राँड़, विधवा । अन [] रज्जु, रस्सी । रंध सक [रध्, राधय् ] राँधना, पकाना । रंधन [ रन्ध्र ] छिद्र, विवर । रंधण न [ रन्धन, राधन] राँवना । पचन | रसोइघर । 'घर न [गृह] पाकगृह । रंप सक [तक्ष्] छिलना, पतला करना । रंफ देखो रंप रंभ अक [गम्] जाना । रंभ देखो रंफ | रंभ सक [आ + रभ्] आरम्भ करना । रंभ पुं [] आन्दोलन, हिंडोले का तख्ता 1 रंभा स्त्री [ रम्भा ] कदली । एक अप्सरा । वैरोचन बलीन्द्र की अग्र-महिषी । रावण की पत्नी | रक्ख सक [रक्ष्] रक्षण या पालन करना । रक्ख पुंन [रक्षस्] राक्षस । रक्ख वि [रक्ष] रक्षक । पुं. एक जैन मुनि । रक्खअ वि [ रक्षक ] रक्षण कर्ता । रक्खग रक्खणिया स्त्री [दे] रखात । रक्खवाल वि [दे] रखवाला । रक्खस पुं [ राक्षस ] देवों की एक जाति । विद्याधर- मनुष्यों का एक वंश । उसमें उत्पन्न मनुष्य, एक विद्याधर जाति । निशाचर, क्रव्याद | अहोरात्र का तीसवाँ मुहूर्त्त । 'उरी स्त्री ["पुरी ] | 'णअरी स्त्री | ['नगरी] लंका नगरा । णाह पुं [ 'नाथ ] ८५ Jain Education International ६७३ राक्षसों का राजा । त्थ न [स्त्र] अस्त्रविशेष | दीव पुं [° द्वीप ] सिंहल द्वीप | नाह देखो णा । वइ पुं [पति ] | वपुं [प] राक्षसों का मुखिया । रक्खसिंद पुं [ राक्षसेन्द्र ] राक्षसों का राजा । रक्खसी स्त्री [राक्षसी ] राक्षस की स्त्री । लिपि - विशेष | रक्खसेंद देखो रक्खसिंद | रक्खा स्त्री [रक्षा] रक्षण, पालन । राख । रक्खअ वि [रक्षित ] पालित । पुं. एक प्रसिद्ध जैन महर्षि । रक्ख देखो रक्खसी । रक्खी स्त्री [रक्षी ] भ० अरनाथ की मुख्य साध्वी । Raatar a [ रक्षोपग] रक्षण में तत्पर । रगिल्ल [दे] देख रइगेल्ल । रग्ग देखो रत्त = रक्त | रग्गय न [दे] कुसुम्भ-वस्त्र । रघु पुं [ रघुष] हरिवंश का एक राजा । रच्च अक [दे. रज्] राचना, आसक्त होना । रच्छा देखो रक्खा । रच्छा स्त्री [रथ्या] मुहल्ला । रच्छामय पुं [दे. रथ्यामृग ] श्वान | रज देखो रय = रजस् । रजग पुंस्त्री. धोबी । स्त्री की । रजय देखो रयय = रजत । रज्ज अक [रन् ] अनुराग करना । रंगाना । रज्ज न[राज्य]राज । शासन । पालिया स्त्री [पालिका ] एक जैन मुनि शाखा । वइ पुं [ पति ] राजा । 'सिरी स्त्री [ श्री ] राज्यलक्ष्मी । हिसे [Tभिषेक ] राजगद्दी पर बैठाने का उत्सव | रज्जव पुंन. नीचे देखो । रज्जु स्त्री रस्सी । एक प्रकार का नाप । रज्जु वि [ दे] लेखक | सभा स्त्री. लेखकगृह । शुल्क-गृह । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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