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भुस देखो बुस । भुसुंढि स्त्री [ दे. भुशुण्डि ] शस्त्र - विशेष । भू देखो भुव = भू ।
भू स्त्री [] भौं ।
भू स्त्री पृथिवी । पृथ्वीकाय, पार्थिव शरीरवाला जीव | 'आर पुं [दार] सूअर । 'कंत पुं [कान्त ] राजा । " गोल पं. गोलाकार भुमण्डल | चंद पुं [ चन्द्र ] पृथिवी का चन्द्र । 'चर वि. भूमि पर चलने-फिरनेवाला मनुष्य आदि । च्छत्त पुंन [च्छत्र ] वनस्पति- विशेष | 'तणग देखो 'यणय | धण पुं [धन] राजा । धर पुं नरपति । पर्वत । "नाह पुं ["नाथ ] राजा । मह पुं अहोरात्र का सत्ताईसवाँ मुहूर्त | पुंन [तृणक] वनस्पति- विशेष । वृक्ष। 'व पुं [° ]। वइ पुं राजा । 'वाल पुं [°पाल ] राजा । व्यक्तिवाचक नाम । 'वित्त पुं [वित्त ] राजा | वीढ न [पीठ ] भूमि तल | 'हर देखो 'धर ।
'यणय
रुह पुं.
[पति]
भू
भूअ गार ।
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
[भूयस् ] । 'गार पुं [कार] कर्मबन्ध का एक प्रकार | देखो भूओ -
भूअ पुं [दे] यन्त्रवाह, यन्त्र-वाहक पुरुष । भूअवि [भूत] वृत्त, संजात, बना हुआ । अतीत । प्राप्त । समान, सदृश । वास्तविक, सत्य | विद्यमान । उपमा, औपम्य । तदर्थभाव । न प्रकृत्यर्थ । पुं. एक देव-जाति । पिशाच । समुद्र - विशेष । द्वीप - विशेष । पुंन. जन्तु, प्राणी । पृथिवी आदि पाँच महाभूत । पेड़, वनस्पति | इंद पुं [° इन्द्र ] भूत-देवों का इन्द्र | गह पुं [ग्रह ] भूत का आवेश |
गाम पुं [ग्राम ] जीव-समूह । त्थ वि [°र्थं] यथार्थं । °दिन्न पुं [°दिन्न] एक जैन आचार्य । एक चाण्डाल नायक । दिन्ना स्त्री. एक अन्तकृत् स्त्री । महर्षि स्थूलभद्र की
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भुसभूओवधाइय
भगिनी । जैन साध्वी । 'मंडलपविभति न [ मण्डलप्रविभक्ति ] नाट्य-विधि का भेद । °लिवि स्त्री ['लिपि] लिपि - विशेष 1 'वडसा स्त्री [वतंसा ] एक इन्द्राणी । एक राजधानी । 'वाइ, वाइय, वादिय पुं [वादिन्, 'वादिक] एक देव-जाति । वि. भूत ग्रह का उपचार करनेवाला, मन्त्र - तन्त्रादि का जानकार | 'वाय पुं [ "वाद ] यथार्थवाद । दृष्टिवाद, बारहवाँ जैन अंग-ग्रन्थ । 'विज्जा, "वेज्जा स्त्री [विद्या ] आयुर्वेद की भूत-निग्रह - विद्यानंद पुं [[नन्द ] नागकुमार देवों का दक्षिण दिशा का इन्द्र | राजा कूणिक का पट्ट - हस्ती । दिप्पह पुं [ नन्दप्रभ ] भूतानन्द इन्द्र का एक उत्पात - पर्वत । वाय देखो 'वाय । भूअण्ण पुं [दे ] जोती हुई खल-भूमि में किया
जाता यज्ञ ।
भूआ स्त्री [भूता] महर्षि स्थूलभद्र की भगिनी, जैन साध्वी । इन्द्राणी की एक राजधानी | भूइ स्त्री [भूति] सम्पत्ति । भस्म, राख । महादेव के अंग की भस्म | वृद्धि । जीव रक्षा | कम्म पुंन [कर्मन् ] शरीर आदि की रक्षा के लिए किया जाता भस्मलेपन - सूत्रबंधनादि । पण्ण वि [ प्रज्ञ] जीव-रक्षा की बुद्धिवाला । ज्ञान की वृद्धिवाला, अनन्तज्ञानी । देखो 'भूई । भूइंद पुं [भूतेन्द्र ] भूतों का इन्द्र । भूइट्ठ वि [ भूयिष्ठ ] अत्यन्त | भूइट्ठा स्त्री [भूतेष्टा] चतुर्दशी तिथि । भूई देखो भूइ । 'कम्मिय वि [ " कर्मिक ] भूति कर्म करनेवाला ।
भूओ अ [ भूयस् ] पुन: । फिर-फिर । गार पुं [कार] थोड़ी कर्म-प्रकृति के बन्ध के बाद होनेवाला अधिक प्रकृति-बन्ध | भूओद पुं [भूतोद] समुद्र विशेष । भूओवघाइय वि [भूतोपघातिन्, 'क] जीवो की हिंसा करनेवाला ।
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