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६२२ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
भत्तिज्ज-भमर [°मत्] भक्त।
भद्ददारु न [भद्रदारु] देवदारु, उसकी लकड़ी। भत्तिज पुं [भ्रातृव्य] भतीजा ।
भद्दव । पुं [भाद्रपद] भादों का महीना । भत्ती । पुं[भर्तृ] स्वामी, पति । अधिपति,
भद्दवय । भत्तु ) अध्यक्ष । राजा । वि. पोषक । धारण भद्दसिरी स्त्री [दे] श्रीखण्ड, चन्दन । करनेवाला ।
भद्दा स्त्री [भद्रा] रावण की पत्नी । प्रथम भत्तोस न [ भक्तोष ] भुना हुआ अन्न । बलदेव की माता । तीसरे चक्रवर्ती की जननी। सुखादिका, खाद्य-विशेष ।
द्वितीय चक्रवर्ती की स्त्री। मेरु के पूर्व रुचक भत्थ पुंस्त्री [दे] भाथा, तूणीर ।
पर्वत की एक दिक्कुमारी देवी। एक प्रतिमा भत्था स्त्री [भस्त्रा] चमड़े की धौंकनी, भाथी।
या व्रत । श्रेणिक की पत्नी । द्वितीया, सप्तमी भत्थिअ वि [भत्सित] तिरस्कृत ।
और द्वादशी तिथि । छन्द-विशेष । कामदेव भत्थी स्त्री [भस्त्री] चमड़े की धौंकनी । धावक की भार्या । चुलनीपिता नामक उपाभद सक [भद्] सुख या कल्याण करना। सक की माता । एक सार्थवाहक स्त्री । गोशाभदंत वि [भदन्त] कल्याण-कारक। सुख- |
लक की माता । अहिंसा, दया । एक वापी । कारक । पूज्य ।
एक नगरी । अनेक स्त्रियों का नाम । भद्द न [दे] आमलक ।
भद्दाकरि वि [दे] अति लम्बा । भद्द । न [भद्र] मंगल, कल्याण । सुवर्ण । | भद्दिा स्त्री [भद्रिका] शोभना। सुन्दर भद्दअमुस्तक, नागरमोथा। दो उपवास । (स्त्री) । नगरी-विशेष । देव-विमान । शरासन | भद्रासन । वि. साधु, भद्दिज्जिया स्त्री [भद्रीया, भद्रीयिका] एक सरल, सज्जन । उत्तम । सुख-जनक, कल्याण- जैन मुनि-शाखा । कारक । पुं. हाथी की उत्तम जाति । भारत- भद्दिलपुर न[भद्दिलपुर] एक प्राचीन नगर । वर्ष का तीसरा भावी बलदेव । चौबीसवाँ | भदुत्तरवर्डिसग न [भद्रोत्तरावतंसक] एक भावी जिनदेव । अंगविद्या का जानकार देव-विमान । द्वितीय रुद्र पुरुष । द्वितीया, सप्तमी और भद्दुत्तर , स्त्री [भद्रोत्तरा] प्रतिमाद्वादशी तिथि । छन्द-विशेष । एक जैन भद्दोत्तर° विशेष, प्रतिज्ञा का एक भेद, आचार्य । 'गुत्त पुं [°गुप्त] एक जैनाचार्य । | भद्दोत्तरा , एक तरह का व्रत । °गुत्तिय न [°गुप्तिक] जैन-मुनि-कुल। भद्र देखो भद्द। °जस पुं[यशस्] भगवान् पार्श्वनाथ का | भप्प देखो भस्स = भस्मन् । गणधर । एक जैन मुनि । °जसिय न | भम सक [भ्रम्] भ्रमण करना, घूमना । ['यशस्क] जैन मुनि-कुल। नंदि पुं भम पुं [भ्रम] भ्रमण । मोह, मिथ्या-ज्ञान । [°नन्दिन्] राज-कुमार । बाहु पुं. ग्रन्थकार भमग न [भ्रमक] लगातार एकतीस दिनो का जैनाचार्य । °मुत्था स्त्री [°मुस्ता]भद्रमोथा । उपवास । वया स्त्री [°पदा] नक्षत्र-विशेष । °साल | भमड देखो भम = भ्रम् । न [°शाल] मेरु पर्वत का वन । °सेण पुं भममुह पुं [दे] आवर्त । [°सेन] धरणेन्द्र के पदाति-सैन्य का अधिपति भमया स्त्री [८] भौंह । देव । एक श्रेष्ठी। °स न [व] नगर- भमर पुं [भ्रमर] भौंरा । पु. छन्द-विशेष । विशेष । सण न [°ासन] सिंहासन । । विट, रंडीबाज । रुम पु [रुच] अनार्य
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